सिफी आईवे बनेगा ‘ई-पोर्ट’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:41 PM IST

रियल एस्टेट के बढ़ते किरायों की मार इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी सिफी  टेक्नोलॉजी के कैफे कारोबार पर भी पड़ रही है।


लगातार बढ़ते किराए से बचने के लिए कंपनी अपनी कैफे शृंखला की रीब्रांडिग करने की योजना बना रही है। इसके तहत ‘आई वे’ के नाम से मशहूर कंपनी के कैफे का नाम बदलकर ‘ई-पोर्ट’ कर दिया जाएगा। सिफी के  मुख्य कम्युनिकेशंस अधिकारी डेविड एपेसैमी ने बताया कि रीब्रांडिंग के तहत सिर्फ कैफे शृंखला का नाम बदलने के साथ ही और भी कई सुविधाएं दी जाएंगी।

पिछले आठ साल से ‘आईवे’ वेब सुविधाएं मुहैया कराने के लिए ही जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘नया मॉडल ग्राहकों की विभिन्न ऑनलाइन जरूरतों को पूरा करेगा। इस बदलाव के साथ ही कंपनी के साइबर कैफे सिफी के लिए ई-स्टोर्स का भी काम करेंगे।’

हालांकि उन्होंने इस रीब्रांडिंग पर होने वाले खर्च के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कंपनी की फै्रंचाइजी शाखओं द्वारा कैफे के लिए ज्यादा किराया चुकाने से कंपनी के मुनाफे में गिरावट आई है। मुनाफे में आई इसी गिरावट को कम करने के लिए कंपनी ने रीब्रांडिंग की योजना बनाई है। कंपनी के  3,900 आउटलेटों में से लगभग 1,000 आउटलेटों की रीब्रांडिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत कंपनी के कुछ आउटलेटों की जगह बदली जाएगी और कुछ आउटलेट्स बंद भी किए जा सकते हैं।

जून 2008 में कंपनी के 3,917 कैफे में से 2,029 कैफे ही परिचालन में हैं। जून 2007 को खत्म हुए तिमाही में कंपनी के 3,713 कैफे में से 2,525 कैफे परिचालन में थे। इस रीब्रांडिंग के तहत कंपनी ने कैफे मालिकों को क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के साथ गठजोड़ किया है।

एक बार ई-पोर्ट शुरू होने के बाद ग्राहक यहां से ई-बिजनेस करने के बाद कैफे के मालिक को पैसा दे सकते हैं। इस बारे में डेविड ने बताया, ‘हमारे आउटलेट पर टिकट बुक करने के लिए अभी ग्राहकों को अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता है। लेकिन इस ई-पोर्ट के शुरू होने के बाद ग्राहक कैफे मालिकों के क्रेडिट कार्ड से टिकट बुक कराकर उसे कैश दे सकते हैं।’ सिफी के इंटरनेट कारोबार का कंपनी की कुल कमाई में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी होती थी। हालांकि पिछले कुछ समय से इसमें कमी आई है।

First Published : July 31, 2008 | 11:32 PM IST