बाजार नियामक सेबी ने कथित धोखाधड़ी गतिविधियों के कारण जेएम फाइनैंशियल पर ऋण प्रतिभूतियों के किसी नए निर्गम में लीड मैनेजर के तौर पर काम करने पर रोक लगा दी है। अंतरिम आदेश में सेबी ने आरोप लगाया है कि जेएम फाइनैंशियल ने सार्वजनिक निर्गम में आवेदन करने के लिए कुछ निश्चित निवेशकों को प्रोत्साहित किया और लेनदेन कुछ इस तरह किया ताकि आवेदन व कामयाबी दोनों सुनिश्चित हो।
सेबी की कार्रवाई कंपनी के खिलाफ आरबीआई के कदमों के कुछ ही दिन के भीतर देखने को मिली है। आरबीआई ने कंपनी की इकाई को शेयर व बॉन्ड के बदले कर्ज देने से रोक दिया है। जांच के दौरान आईपीओ और बॉन्ड निर्गम के लिए कर्ज देने में गंभीर खामियों का पता चलने के बाद यह कदम उठाया गया। आरबीआई ने सेबी की तरफ से साझा की गई सूचना के आधार पर कार्रवाई की।
बुधवार को आरबीआई के आदेश के बाद जेएम फाइनैंशियल का शेयर 20 फीसदी टूट गया था। हालांकि बाद में शेयर ने काफी हद तक अपना नुकसान कम कर लिया था। सेबी ने पाया कि काफी निवेशकों ने उन्हें आवंटित गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र (एनसीडी) सूचीबद्धता के दिन ही बेच दिए थे। इसके परिणामस्वरूप खुदरा होल्डिंग में काफी तेज गिरावट आई और कॉरपोरेट होल्डिंग बढ़ गई।
निवेश निकालने वाले ज्यादातर खुदरा निवेशकों ने जेएम समूह के ब्रोकर के जरिए आवेदन किए थे। इसके अलावा इस लेनदेन के लिए जेएम समूह की सहायक जेएम फाइनैंशियल प्रॉडक्ट्स (जेएमएफपीएल) और एक एनबीएफसी ने रकम मुहैया कराई थी।
सेबी के 22 पृष्ठ के आदेश में कहा गया है, जेएमएफपीएल-एनबीएफसी ने न सिर्फ इन निवेशकों को रकम मुहैया कराई बल्कि इन निवेशकों से पूरे आवंटन का अधिग्रहण भी कर लिया और फिर इन प्रतिभूतियों का बड़ा हिस्सा उसी दिन नुकसान पर बेच भी दिया। सेबी ने फर्म के कदमों को सेबी की पाबंदियों का पूरी तरह से नजरअंदाज करना और औपचारिक कानूनी प्रक्रिया की आड़ में अपनी कार्रवाई को छिपाने की कोशिश बताया।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा कि नुकसान की रकम उसकी तरफ से अर्जित ब्याज आय से काफी ज्यादा है। किसी कंपनी के लिए इस तरह के कदम का कोई वाणिज्यिक मतलब नहीं बनता जो लाभ के मकसद से ऐसे लेनदेन में प्रवेश कर रही हो जहां लगातार नुकसान हो।
सेबी ने जेएम फाइनैंशियल के मौजूदा कामकाज के लिए 60 दिन तक सेवाएं मुहैया कराने का समय दिया है। सेबी ने पाया कि जेएमएफपीएल-एनबीएफसी उसी एनसीडी की विक्रेता, खरीदार और फिर दोबारा विक्रेता (कॉरपोरेट को) बनी, जिसमें जेएम फाइनैंशियल मर्चेंट बैंकर थी। बाजार नियामक छह महीने में जांच पूरी करेगा, जहां वह फर्म की तरफ से संभाले गए अन्य सार्वजनिक निर्गम से जुड़े कामकाज पर नजर डाल रहा है।
रेफिनिटिव के आंकड़ों के मुताबिक जेएम फाइनैंशियल साल 2023 में इक्विटी से जुड़े निर्गमों के लिए अग्रणी इन्वेस्टमेंट बैंकों में शामिल था। हालांकि ऋण प्रतिभूतियों से जुड़े मामलों में अग्रणी पांच में भी नहीं था।
बढ़े आईपीओ आवेदन की जांच
बाजार नियामक एसएमई के आईपीओ आवेदन के बढ़े-चढ़े आंकड़ों को लेकर भी अलग से जांच कर रहा है। अंतरिम आदेश में कहा गया है कि ऐसा पाया गया कि कुछ निश्चित इकाइयों ने एचएनआई श्रेणी में बड़ी बोली लगाई और खुदरा श्रेणी के तहत भी बोली लगाई। परिणामस्वरूप आवेदन के आंकड़े बढ़ गए। बाद में काफी बोली रद्द कर दी गई क्योंकि एक ही पैन से कई आवेदन किए गए थे।
इस मामले में बोली उन खातों से लगाई गई जो आईसीआईसीआई बैंक की उसी शाखा में थी और इन मामलों में पीओए भी उन इकाइयों के हक में बनाए गए, जो जेएम समूह का हिस्सा थीं। सेबी ने इस मामले को भी आरबीआई के पास भेज दिया है।