सर्वोच्च न्यायालय ने पुणे के एक रेस्तरां को बंबई उच्च न्यायालय के फैसला सुनाए जाने तक ‘बर्गर किंग’ नाम का इस्तेमाल करने की आज अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, विवाद से संबंधित आदेश (बंबई उच्च न्यायालय का) स्थगित रहेगा। अलबत्ता बंबई उच्च न्यायालय अपील पर सुनवाई जारी रख सकता है।’
इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने पुणे की अदालत के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें अमेरिका की फास्ट-फूड श्रृंखला बर्गर किंग कॉर्पोरेशन द्वारा उसी नाम से संचालित स्थानीय रेस्तरां के खिलाफ दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे को खारिज कर दिया गया था। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब बर्गर किंग कॉर्पोरेशन ने साल 2014 में भारतीय बाजार में प्रवेश किया और पुणे का रेस्तरां साल 2008 से ‘बर्गर किंग’ नाम से चल रहा था। बहुराष्ट्रीय श्रृंखला ने तर्क दिया कि स्थानीय रेस्तरां द्वारा इस नाम का इस्तेमाल उसकी ब्रांड प्रतिष्ठा के लिए नुकसानदेह था और उसने इस नाम का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की।
जुलाई 2024 में पुणे की अदालत ने स्थानीय रेस्तरां के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि वह 1990 के दशक की शुरुआत से ही चल रहा है जबकि बर्गर किंग कॉर्पोरेशन ने भारत में अपना ट्रेडमार्क 2006 में ही पंजीकृत कराया था। पुणे के रेस्तरां को नाम का ‘पहले से और ईमानदार उपयोगकर्ता’ घोषित करते हुए अदालत ने अमेरिकी श्रृंखला के दावों को खारिज कर दिया। श्रृंखला ने इस आदेश को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायाल का रुख किया और कहा कि उसने साल 1979 में भारत में ट्रेडमार्क पंजीकृत कराया था, लेकिन साल 2014 तक इसका संचालन शुरू नहीं किया था।