एमआरओ इकाई के लिए जगह तलाश रही सैफ्रन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:48 PM IST

विमान इंजन बनाने वाली फ्रांस की कंपनी सैफ्रन ग्रुप ने भारत में विमान इंजन के लिए एक नई रखरखाव, मरम्मत एवं ओवरहॉल (एमआरओ) इकाई स्थापित करने के लिए जेवर, नागपुर और हैदराबाद को शॉर्टलिस्ट किया है। कंपनी इस परियोजना पर करीब 15 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी।
इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि कंपनी अपनी एमआरओ इकाई के लिए जगह को अंतिम रूप देने पहले कम कराधान एवं बेहतर शर्तों के लिए राज्य सरकारों से बातचीत कर रही है। इस बाबत जानकारी के लिए कंपनी को भेजे ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। एयरबस ए320 और बोइंग 737 जैसे विमानों के लिए इंजनि बनाने वाली अमेरिकी कंपनी सीएफएम इंटरनैशनल में सैफ्रन और जीई एविएशन में से प्रत्येक की 50 फीसदी हिस्सेदारी है। फिलहाल भारत में लगभग 220 एयरबस एवं बोइंग विमानों में सीएफएम इंजन लगे हैं। इसके अलावा इंडिगो, विस्तारा और स्पाइसजेट ने कुल मिलाकर 485 विमानों के लिए ऑर्डर दिए हैं जो इसी इंजन से लैस होंगे। इन विमानों की आपूर्ति अगले 5 साल में होने की उम्मीद है।
राकेश झुनझुनवाला के निवेश वाली भारतीय विमानन कंपनी आकाश एयर से ताजा ऑर्डर के तहत बोइंग 72 737 मैक्स विमानों के लिए सीएफएम लीप-1बी इंजन खरीदने के लिए पिछले महीने करीब 4.5 अरब डॉलर के सौदे की घोषणा की गई। एमआरओ इकाई से हवाई अड्डों को भी काफी फायदा होगा।
जेवर दिल्ली के समीप है और इसलिए वह दूसरों के मुकाबले कुछ बेहतर स्थिति में है। इंडिगो, विस्तारा और स्पाइसजेट जैसे सीएफएम के प्रमुख ग्राहकों का मुख्य ठिकाना भी दिल्ली है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार से प्रोत्साहन भी सीएफएम को जेवर की ओर आकर्षित कर सकता है जहां नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 2024 तक तैयार होने वाला है। यह हवाई अड्डा दिल्ली हवाई अड्डे से महज 72 किलोमीटर की दूरी पर है।
शॉर्टलिस्ट किए गए दो अन्य हवाई अड्डे नागपुर और हैदराबाद जीएमआर समूह के स्वामित्व में हैं। भारत के एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी परिषद ने पिछले साल घरेलू एमआर सेवाओं पर कराधान को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था।

First Published : December 16, 2021 | 11:46 PM IST