कई सड़क-निर्माण कंपनियों की ऑर्डर बुक और ऑर्डर प्रवाह कम हो रहा है क्योंकि राजमार्गों की निविदा प्रक्रिया धीमी हुई है। कंपनी अधिकारियों का कहना है कि विविधीकरण, ऑर्डर के बढ़िया बैकलॉग और अगले वित्त वर्ष में निविदाओं के रुख में बदलाव की उम्मीद से कंपनियों को नरमी से उबरने में मदद मिलने की संभावना है।
राजमार्ग परियोजनाओं की इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) तथा हाइब्रिड एन्यूइटी मॉडल (एचएएम) के लिए बोली लगाने वालों में से कई ने या तो ऑर्डर बुक में कमी की सूचना दी है या फिर उनको चालू वर्ष के लिए कोई ऑर्डर नहीं मिला है।
एचजी इन्फ्रा इंजीनियरिंग के अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में विश्लेषकों के साथ एक बैठक में कहा था कि नौ महीनों में बमुश्किल करीब 75 करोड़ के ऑर्डर मिले हैं। केएनआर कंस्ट्रक्शंस के वरिष्ठ अधिकारी ने विश्लेषकों से इसी तरह के बयान में कहा ‘नहीं, हमें वित्त वर्ष 24 में कोई ऑर्डर नहीं मिला है।’ जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने ऑर्डर प्रवाह के अनुमान में भी कटौती की है।
नुवामा के विश्लेषकों ने कंपनी के संबंध में एक नोट में कहा है कि एनएचएआई द्वारा कम ऑर्डर दिए जाने से कंपनी को वित्त वर्ष 24 में अपने ऑर्डर हासिल करने का अनुमान घटाकर 6,000 करोड़ रुपये से 7,000 करोड़ रुपये करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो पहले 10,000 करोड़ रुपये (और शुरुआत में 20,000 करोड़ रुपये) था। ऑर्डरों की कमी से न तो साख के संबंध में चिंता पैदा हो रही है और न ही उत्साह में कमी आ रही है।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘पिछले दो साल में नजर आए ऑर्डरों ने पिछले छह महीनों की सुस्ती की भरपाई कर दी है। हमें उम्मीद है कि चुनाव के बाद चीजें सुधरेंगी। हां, ऑर्डर बुक में कमी आई है लेकिन यह चिंता की बात नहीं है।’ इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख विनय कुमार भी इस बात से सहमत हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऑर्डर बुक और राजस्व अनुपात अब भी लगभग तीन गुना स्तर पर अच्छा बना हुआ है। इसलिए हमें वित्त वर्ष 25 में राजस्व प्रभावित होने के आसार नहीं दिखते है।
उन्होंने कहा कि अगर सड़क की ईपीसी परियोजनाओं के लिए ऑर्डर में कमी का मौजूदा रुख जारी रहा तो वित्त वर्ष 26 से दबाव दिखना शुरू हो जाएगा। वित्त वर्ष 25 में ऑर्डरों के रुख में बदलाव से मदद मिल सकती है हालांकि पहली दो तिमाहियों में निविदा दिए जाने पर चुनाव का असर नजर आएगा।
सड़क क्षेत्र की कंपनियों के अधिकारियों को यह भी उम्मीद है कि निर्माण-परिचालन-हस्तांतरण (बीओटी) मॉडल के तहत नई निविदाओं से सड़क ईपीसी क्षेत्र की कंपनियों को ईपीसी भागीदारों या उप-ठेकेदारों के रूप में मौके मिलेंगे।