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Go First के समाधान पेशेवर ने NCLT से कहा, ऋणदाताओं की समिति ने विमानन कंपनी को बंद करने का फैसला किया

मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को की जाएगी।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- September 03, 2024 | 10:53 PM IST

दिवालिया विमानन कंपनी गो फर्स्ट के समाधान पेशेवरों (आरपी) ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) से मंगलवार को कहा है कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने सर्वसम्मति से कंपनी को बंद करने का फैसला लिया है। इसके बाद अधिकरण ने आरपी द्वारा दायर याचिका के संबंध में विमानन कंपनी के निलंबित प्रबंधन से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को की जाएगी।

समाधान पेशेवरों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रितिन राय ने कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और अन्य वाली ऋणदाताओं की समिति ने कंपनी बंद करने का फैसला किया है। मगर उन्होंने कहा कि कंपनी अभी भी सिंगापुर में मध्यस्थता कार्यवाही में अमेरिकी इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हीटनी (पीऐंडडब्ल्यू) से लड़ रही है।

विमानन कंपनी के ऋणदाताओं ने इंजन विनिर्माता पीऐंडडब्ल्यू के खिलाफ मध्यस्थता मामले के लिए रकम जुटाने के लिए अमेरिकी वित्त फर्म बर्फोड कैपिटल को नियुक्त किया है। बर्फोड मामले का समर्थन करने के लिए पहली किश्त के तौर पर 25 करोड़ डॉलर देगी। गो फर्स्ट ने कहा कि वह पीडब्ल्यूडी से एक अरब डॉलर की मांग कर रहा है अगर वह मिल जाता है तो उस रकम का उपयोग कंपनी ऋणदाताओं को भुगतान करने और परिसमापन प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए करेगी।

मगर एनसीएलटी ने आरपी से मध्यस्थता का मामला विफल रहने पर भी सवाल पूछा है। अधिकरण ने समाधान पेशेवर से यह बताने के लिए भी कहा है कि मध्यस्थता मामले से मिलने वाली रकम कैसे वितरित की जाएगी। इस पर समाधान पेशेवरों ने कहा कि कंपनी द्वारा ऋणशोधन अक्षमता के लिए याचिका दायर करने के बाद से अब तक ऋणदाताओं ने मुकदमेबाजी के लिए करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं और अब सिंगापुर में चल रही मध्यस्थता मामले की सुनवाई के लिए और अधिक रकम खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं।

अधिकरण ने तीसरे पक्ष से रकम जुटाने पर आपत्ति जताई और कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। मगर समाधान पेशेवरों ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 अप्रैल को नागर विमानन नियामक को गो फर्स्ट को पट्टे पर दिए गए विमानों को पांच दिवस कार्य दिवस के भीतर अपंजीकृत करने का आदेश दिया था और उसके बाद नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 1 मई को गो फर्स्ट को पट्टे पर दिए गए सभी 54 विमानों को अंपीजकृत कर दिया था। इसके बाद विमानन कंपनी ने अपने सभी 54 विमान खो दिए थे।

हालांकि, गो फर्स्ट से दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती भी नहीं दी। विमानन कंपनी के ऋणदाताओं में बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक शामिल है। गो फर्स्ट ने आईबीसी की धारा 10 के तहत पिछले साल 2 मई को खुद से ऋणशोधन अक्षमता के लिए याचिका दायर किया था और 10 मई को एनसीएलटी ने उसकी याचिका स्वीकार कर ली थी।

First Published : September 3, 2024 | 10:53 PM IST