रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. बंगाल की खाड़ी में स्थित ब्लॉक केजी-डी6 में गहरे जल क्षेत्र में स्थित एमजे गैस कन्डेनसेट (तरल हाइड्रोकार्बन) फील्ड इस साल के अंत तक चालू करेगी।
इससे देश के कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन में 30 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (खोज और उत्पादन) संजय राय ने कहा, ‘‘एमजे गैस कन्डेनसेट फील्ड परियोजना पटरी पर है।
इस साल के अंत तक गैस उत्पादन की उम्मीद है।’’ उन्होंने कंपनी की दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे की घोषणा के बाद निवेशकों के साथ बातचीत में यह कहा। रिलायंस और उसकी भागीदार बीपी ने पूर्वी अपतटीय क्षेत्र के ब्लॉक में जो खोज की है, उसमें एमजे तीसरा और अंतिम समूह है। इसे दोनों कंपनियां विकसित कर रही हैं।
दोनों केजी-डी6 ब्लॉक में गहरे जल क्षेत्र में स्थित क्षेत्र से उत्पादन के लिये समुद्री क्षेत्र में काम करने वाली उत्पादन प्रणाली का उपयोग करेंगी। राय ने कहा, ‘‘…उत्पादन प्रणाली स्थापित की जा चुकी है।
दूसरे चरण की खुदाई और उसे पूरा करने का काम फिलहाल जारी है। हमने एक कुआं में काम पूरा कर लिया है औैर उसके बाद सात कुओं को लेकर काम पटरी पर है। रिलायंस और बीपी केजी-डी6 में तीन अलग-अलग परियोजनाओं पर पांच अरब डॉलर निवेश कर रही हैं। ये हैं…आर-कलस्टर, सेटेलाइट कलस्टर और एमजे। इन तीनों क्षेत्रों से 2023 तक करीब तीन करोड़ घन मीटर प्रतिदिन गैस उत्पादन की उम्मीद है।
इसमें से आर-कलस्टर से दिसंबर 2020 में उत्पादन शुरू हुआ, जबकि सेटेलाइट कलस्टर पिछले साल अप्रैल में परिचालन में आया। आर कल्स्टर में उत्पादन अपने चरम पर करीब 1.29 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन पहुंच चुका है जबकि सेटेलाइट कलस्टर में अधिकतम उत्पादन 60 लाख घन मीटर प्रतिदिन अनुमानित है।
एमजे फील्ड से अधिकतम 1.2 करोड़ घन मीटर गैस उत्पादन की उम्मीद है। रिलायंस ने केजी-डी6 ब्लॉक में अबतक 19 गैस क्षेत्र की खोज की है। इनमें से सबसे बड़े डी-1 और डी-3 से उत्पादन 2009 में शुरू हुआ। और ब्लॉक में एकमात्र तेल फील्ड एमए से उत्पादन 2008 में शुरू हुआ। इसमें से एमए फील्ड से उत्पादन 2019 में बंद हो गया।
डी-1 और डी-3 से उत्पादन फरवरी 2020 से रूक गया। उत्पादन समयसीमा का पालन नहीं होने से अन्य क्षेत्र या तो सौंप दिये गये या फिर सरकार ने उसे ले लिया। रिलायंस के पास केजी-डी6 में 66.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि बीपी के पास शेष 33.33 प्रतिशत हिस्सेदारी है।