देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उतरने की संभावना तलाश रही है। रिलायंस के कदम से भारत में चिप की बढ़ती मांग और सप्लाई चेन की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। कंपनी की योजना से वाकिफ दो लोगों ने इसकी जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार से लेकर ऊर्जा कारोबार से जुड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार की पहल से प्रेरित होकर ऐसे विदेशी चिप मैन्युफैक्टरिंग के साथ शुरुआती दौर की बातचीत शुरू कर दी है, जिनमें तकनीकी भागीदार बनने की क्षमता है।
हालांकि कंपनी ने इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है। उक्त शख्स ने कहा कि रिलायंस ने अभी यह निर्णय नहीं किया है कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश किया जाए या नहीं। कंपनी जिन विदेशी चिप मैन्युफैक्चरर्स के साथ बात कर रही है उसके नाम का भी खुलासा नहीं हो पाया है।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दिलचस्पी के बारे में पूछे जाने पर रिलायंस की ओर से भी कोई जवाब नहीं आया। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि वह चाहते हैं कि भारत दुनिया के लिए चिप विनिर्माण का केंद्र बने। उन्होंने 2021 में पहली बार इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य का खाका पेश किया था लेकिन अभी तक देश में एक भी चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लग पाया है। हालांकि वेदांत और ताइवान की फॉक्सकॉन दोनों चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की संभावना तलाश रही है।
सूत्रों ने कहा कि रिलायंस चिप की किल्लत को दूर करने के लिए भी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उतरना चाहती है क्योंकि चिप की कमी उसके दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कारोबार को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए 2021 में चिप की किल्लत के कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपने किफायती स्मार्टफोन को बाजार में उतारने में देर करनी पड़ी थी। रिलायंस ने यह फोन गूगल के साथ मिलकर बनाया था।
भारत सहित दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ रही है। भारत सरकार ने अनुमान लगाया है कि 2028 तक देश में चिप का बाजार मौजूदा 23 अरब डॉलर से बढ़कर 80 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
अमेरिका की चिप विनिर्माता ग्लोबल फाउंड्रीज की भारत में पूर्व कार्याधिकारी अरुण मामपाझी ने कहा कि करीब 200 अरब डॉलर की बाजार पूंजीकरण (एमकैप) वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में उतरने वाली सबसे अच्छी कंपनियों में से एक हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी है और वह सरकार के साथ मिलकर काम करना भी जानती है।’
हालांकि चिप विनिर्माण एक ऐसा उद्योग है जो ऐतिहासिक रूप से तेजी और मंदी के चक्र से घिरा रहा है तथा इसके लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की जरूरत होती है।
मामपाझी ने कहा, ‘रिलायंस के लिए संयुक्त उपक्रम या तकनीक हस्तांरण के जरिये तकनीकी साझेदार हासिल करना सबसे अहम होगा।’
केंद्र सरकार देश में चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 10 अरब डॉलर की प्रोत्साहन योजना भी लेकर आई है।
सेमीकंडक्टर के लिए वेदांत और फॉक्सकॉन ने 19.5 अरब डॉलर का संयुक्त उपक्रम बनाने की घोषणा की थी लेकिन तकनीकी साझेदार मिलने में हो रही देरी के कारण जुलाई में यह गठजोड़ टूट गया। इसके बाद फॉक्सकॉन ने अकेले दम पर भारत में निवेश करने का निर्णय किया।