सरकार की विभिन्न पहल मसलन उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और पूंजीगत सामान के उत्पादन में इजाफा के अलावा बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी अगले वित्त वर्ष से निजी क्षेत्र में भारी निवेश के चक्र की शुरुआत का संकेत देता है। इससे पहले मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीने में भारी कायापलट देखने को मिला है। आर्थिक समीक्षा में ये बातें कही गई हैं।
आर्थिक समीक्षा में अनुमान जताया गया कि भारत के औद्योगिक घरानों के बही खाते के निरंतर मजबूत होने और ज्यादा कर्ज मिलने के कारण निजी पूंजीगत व्यय में निरंतर वृद्धि हो सकती है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार ‘दबी हुई’ उपभोक्ता मांग बढ़ने के साथ-साथ टिकाऊ उपभोक्ता सामान खंड विकास कर रहा है। इससे विनिर्माण आउटपुट में वृद्धि हो रही है।
रिपोर्ट में एक्सिस बैंक की रिपोर्ट के हवाले से जानकारी दी गई है कि वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में कंपनी जगत का पूंजीगत खर्च बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसका कारण यह है कि विद्युत, स्टील, रसायन, वाहन और दवा क्षेत्रों में भारी निवेश हुआ।
समीक्षा के अनुसार उत्पादन से जुड़ी पहल की योजनाएं 14 श्रेणियों में हैं। इनसे मदद मिलने के कारण आने वाले पांच सालों में पूंजीगत व्यय करीब 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है और इससे 60 लाख से अधिक रोजगार का सृजन होगा। इस योजना से मध्यम अवधि में आयात शुद्ध रूप से घटेगा। इससे भारत में विनिर्माण की क्षमताओं का विकास होगा और घरेलू व वैश्विक जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
भारत सरकार की उत्पादन से जुड़ी योजना के पेश किए जाने के बाद कई भारतीय उद्योग समूहों ने हरित ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और वाहन विनिर्माण इकाइयों में अरबों डॉलर निवेश करने की घोषणा कर दी है। ताइवान के फॉक्सकॉन की मदद से वेदांता समूह गुजरात में सेमीकंडक्टर के विनिर्माण के लिए 20 अरब डॉलर निवेश करने की योजना बना रहा है।
इसी तरह टाटा ने घोषणा कर दी है कि वह अगले पांच वर्षों में सेमीकंडक्टर, मोबाइल विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्रों में 90 अरब डॉलर निवेश करेगा। अदाणी समूह की योजना 2030 तक 107 अरब डॉलर का भारी भरकम निवेश करने की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज स्वच्छ ऊर्जा की परियोजनाओं में 76 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा कर चुकी है।
रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था में रोजगार वृद्धि के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाना तब तक अनिवार्य है जब तक कि वैश्विक अर्थव्यवस्था दुरुस्त न हो जाए। रिपोर्ट के अनुसार,’सौभाग्यवश, निजी क्षेत्र पूर्व शर्तों को पूरा कर रहा है।
पूंजीगत खर्च को आधार मुहैया करवा रहा है और इस भारी भरकम खर्च को उठाने के लिए भी तैयार है। निजी क्षेत्र का आंतरिक संसाधन जुटाना अच्छा है, क्षमता निर्माण की क्षमता उच्च है और मांग नियमित रूप से बेहतर हो रही है। पूंजी बाजार के साथ-साथ वित्तीय संस्थान नए निवेश को संसाधन मुहैया करवाने के लिए तैयार हैं।’
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव बजाज ने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने के सरकार के कदम से पूंजीगत व्यय महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे खासतौर पर आधारभूत क्षेत्र में पूंजीगत खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इससे इस वर्ष और आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय वाणिज्य व उद्योग महासंघ (फिक्की) के अध्यक्ष सुब्रकांत पांडा ने उम्मीद जताई कि केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय पर प्रमुख रूप से जोर दिया जाएगा।