जब ज्यादातर आईटी कंपनियां भर्तियों को ठंडे बस्ते में डाल रही है, वहीं जीई, क्रिसलर और वोल्वो जैसी गैर- आईटी कंपनियां शोध और विकास (आर ऐंड डी) के लिए लोगों की तलाश में है।
मिसाल के तौर पर, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी (जीई) की विशिष्ट तकनीक विकास इकाई जीई ग्लोबल रिसर्च 2009 के अंत तक 150 लोगों को जोड़ने की योजना बना रही है। डैमलर क्रिसलर की आर ऐंड डी इकाई डैमलर क्रिसलर रिसर्च ऐंड टेक्नोलॉजी इंडिया (डीसीआरटीआई) भी इस साल 150 लोगों की भर्ती कर सकती है।
इसी तरह डेल्फी ऑटोमोटिव सिस्टम्स भी अपने बेंगलुरु इकाई के लिए इंजीनियरों की संख्या 80 से बढ़ाकर 180 करने की योजना है। सूत्रों का कहना है कि डैमलर क्रिसलर की डीसीआरटीआई में मोल्ड और इंजन डिजाइन के क्षेत्र में कई लोगों की दरकार है।
डीसीआरटीआई पिछले कुछ वर्षों से अमेरिकी मिसाइल कार्यक्रम का डिजाइन बनाने के काम से जुड़ी हुई हैं। क्रूज मिसाइल के तहत जीपीएस तकनीक और टेरेन तुलनात्मक मैप का समन्वय होता है। स्वीडन की ऑटोमोबाइल कंपनी वोल्वो की बेंगलुरु स्थित तकनीकी केंद्र में, जहां अभी 350 से 450 लोग कार्यरत हैं, 50 और लोगों की भर्ती अगले छह महीने में करेगी।
वोल्वो की तकनीकी केंद्र मातृ कंपनी को आईटी और ट्रक विकास गतिविधि में मदद मुहैया करती है। जीई के बेंगलुरु स्थित जीई की जैक वेल्क रिसर्च सेंटर के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस बार जब नए लोगों की भर्ती की जाएगी, तो कुल कर्मचारियों की संख्या 4500 हो जाएगी।
जाहिर सी बात है कि जीई की इस रिसर्च और डेवलपमेंट टीम में अभी 3800 लोग काम कर रहे हैं, इसके अलावा ग्लोबल रिसर्च खंड में 350 लोग कार्यरत हैं। इन जॉब के लिए न्यूमेरिकल एनालिसिस, मैथमेटिकल और कंप्यूटेशनल मॉडलिंग या फॉरकास्टिंग में उच्च योग्यता वांछित है।
भर्ती करने वाली एक प्रमुख कंपनी के हेड ने बताया कि जून के पहले हफ्ते से भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘ये इकाइयां अपनी रिसर्च जरूरतों को लेकर बहुत सख्त होती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर द्वारा आर ऐंड डी खर्च बढ़ाने का मतलब आर्थिक मंदी के समय भी समझ में आता है।’
