एक दशक तक भारत में प्रमुख प्राइवेट इक्विटी फर्म केकेआर का नेतृत्व करने के बाद संजय नायर ने एसोचैम के अध्यक्ष का पदभार संभाला है। नायर ने देव चटर्जी से एसोचैम की प्राथमिकताओं, निजी पूंजीगत व्यय में तेजी और स्टार्टअप के बारे में बात की। प्रमुख अंश…
आपने ऐसे समय में एसोचैम के अध्यक्ष का पदभार संभाला है, जब भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है और वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें ज्यादा हैं। आगे की स्थिति को लेकर आपका क्या दृष्टिकोण है?
जब मैं निजी इक्विटी फर्म केकेआर में बहुत ज्यादा व्यस्त रहता था तो हमेशा चाहता था कि राष्ट्रीय विकास में योगदान के लिए वक्त दिया जाए। आज मैं भारत के विकास में उद्योग और सरकार के दृष्टिकोण पर वक्त देने के लिए अच्छी जगह पर हूं और अपने 4 दशक के वित्तीय व पूंजी बाजारों के अनुभव का लाभ उठाऊंगा।
आगे चलकर सरकार की प्राथमिकताओं से तालमेल बिठाना हमारी शीर्ष प्राथमिकता होगी। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को कारोबार सुगमता मुहैया करानी होगी, जिससे उनकी वृद्धि देश को आगे बढ़ा सके। मैं सभी हिस्सेदारों के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक हूं ।
निजी पूंजीगत व्यय को लेकर आपका क्या विचार है?
मुझे लगता है कि घरेलू उद्योग को पूंजीगत व्यय के लिए आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है और यह दिख भी रहा है। खपत बढ़ रही है और पीएलआई (उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन) जैसे प्रोत्साहन मिल रहे हैं, ऐसे में हम जल्द निजी पूंजीगत व्यय में तेजी देखेंगे। इसकी कुछ शुरुआती झलक हम पहले ही देख रहे हैं। निजी क्षेत्र तमाम उभरते क्षेत्रों में संयुक्त उद्यम बना रहा है, जिसमें सेमीकंडक्टर, अक्षय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, होटल, विमानन, तकनीक, मोबिलिटी आदि शामिल है।
क्या भारत में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है?
एसोचैम में हमने हाल ही में स्टार्टअप महाकुंभ कराया है। उद्योग पर इसका प्रभाव देखते हुए सभी हितधारकों ने स्वागत किया। स्टार्टअप के संस्थापकों ने अपने सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। सरकार ने स्टार्टअप के लिए अपने हिस्से का काम किया हैऔर अब निजी क्षेत्र की कंपनियों को मशाल संभालनी है। आने वाले वर्षों में हम इन कंपनियों को सुविधा देंगे।
विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए क्या किए जाने की जरूरत है?
भू-राजनीतिक व्यवधान और वैश्विक स्तर पर उच्च ब्याज दरों सहित कई वजहों से तिमाही आधार पर एफडीआई सुस्त है। हालांकि भारत में एफडीआई की आवक क्रमिक रूप से बढ़ रही है और सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में निवेश आया है। भारत सरकार इस दिशा में निरंतर कवायद कर रही है। हम आने वाले समय में एफडीआई नीति में कुछ बदलाव देख सकते हैं।
नई सरकार के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
विभिन्न सेक्टर के सभी हितधारक विकास के लिए आवश्यक सुधारों के अगले चरण को चिह्नित करने और प्रत्येक क्षेत्र के लिए अल्पकालिक उपायों का उल्लेख करने का काम कर रहे हैं। यह निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने का वक्त है। हमें सभी सेक्टर में ज्यादा निवेश की जरूरत है और सरकार के खजाने पर खर्च का बोझ कम करने पर ध्यान देना चाहिए।