दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी फाइजर ने सन फार्मा, वॉकहार्ट लिमिटेड और ल्यूपिन लिमिटेड के खिलाफ पेटेंट उल्लंघन का मामला दर्ज किया है।
यह मामला इसलिए दर्ज किया गया है कि कंपनी की अधिक बिकने वाली दवाओं में शुमार न्यूरोपैथिक दर्द निवारक लाइरिका की पेटेंट मंजूरी इन कंपनियों को न मिल पाए। यह याचिका 29 अप्रैल को डेलावेयर के जिला न्यायालय में दायर की गई है।
फाइजर ने ल्यूपिन पर लाइरिका की तीन पेटेंटों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है, जबक दूसरी कंपनियों को एक पेटेंट उल्लंघन का दोषी ठहराया गया है। फाइजर ने यह भारतीय कंपनियों के खिलाफ यह कदम तब उठाया है, जब इसके दवा की मार्केटिंग की मंजूरी मिलनी बांकी थी। मालूम हो कि अधिकतर लाइरिका की पेटेंट अवधि 2018 को समाप्त होने का अनुमान है।
अमेरिकी नियम के तहत किसी जेनेरिक दवा को बेचने के लिए दवा की खोज करने वाली पहली कंपनी पेटेंट को चुनौती देती है, उसके बाद पैराग्राफ चार के तहत पेटेंट खत्म होने के बाद भी 180 दिनों की एक्सक्लूसिव मार्केटिंग की अनुमति पाता है।
पहल करने वाली कंपनी को पैराग्राफ चार के तहत चुनौती देनी होती है, जिससे अंतिम मार्केटिंग मंजूरी को 30 महीने तक के लिए रोका जा सकता है। लाइरिका फाइजर की सबसे अधिक बिकने वाली दवा की फेहरिस्त में शुमार है। यह दवा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगों के इलाज में प्रयुक्त होता है।
पिछले साल दुनियाभर में इस दवा ने 2.57 अरब डॉलर का कारोबार किया था। सिर्फ अमेरिका में इसने 1.45 अरब डॉलर का कारोबार किया था। फाइजर ने सन और वॉकहार्ट को लाइरिका के लिए अग्रसारित 2001 पेटेंट (संख्या 6,197,819) के उल्लंघन के लिए दोषी ठहराया है, जबकि ल्यूपिन को एएनडीए के मंजूरी नियमों को उल्लंघन के मामले में दोषी ठहराया गया है।
इसके अलावा फाइजर ने टेवा, सैंडोज और एक्टाविस के खिलाफ भी लाइरिका के पेटेंट उल्लंघन का मामला दायर किया है। लाइरिका का इस्तेमाल मिरगी, डायबिटीज न्यूरोपैथी दर्द आदि बीमारियों में किया जाता है। यह दवा भारत सहित हर प्रमुख बाजार में उपलब्ध है। इस साल जनवरी से मार्च की अवधि में इसकी बिक्री 68 करोड़ 40 लाख डॉलर रही।
