बीएस बातचीत
जोमैटो और पेटीएम मॉल द्वारा अधिग्रहण संबंधी कथित बातचीत को लेकर ग्रोफर्स सुर्खियों में रही है। लेकिन इस ऑनलाइन ग्रोसरी प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक एवं सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने समरीन अहमद से बातचीत में कहा कि सॉफ्टबैंक और टाइगर ग्लोबल के निवेश वाले स्टार्टअप उन कंपनियों से लगतार संपर्क में रहते हैं जो ई-ग्रोसरी क्षेत्र में उतरना चाहती हैं। लेकिन ग्रोफर्स को बेचने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि कंपनी लाभप्रद है और उसके पास पर्याप्त पूंजी है। पेश हैं मुख्य अंश:
कोविड-19 के प्रकोप के बीच ई-ग्रोसरी की गतिविधियों में काफी हलचल देखी गई। कई नई कंपनियां इस क्षेत्र में उतर रही हैं जबकि पहले से ही मौजूद कुछ कंपनियां अपना कारोबार समेटने की योजना बना रही हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
ई-ग्रोसरी सामान्य ई-कॉमर्स अथवा फूड डिलिवरी कारोबार के मुकाबले एक अलग तरीके का कारोबार है। यह भारी आपूर्ति पक्ष वाला प्रारूप है जहां आपको यह पता लगाना होता है कि ग्राहकों को आपूर्ति सेवा कैसे सुनिश्चित की जाएगी। इस कारोबार में केवल वही खिलाड़ी बने रह सकते हैं जो आपूर्ति पक्ष को दमदार बनाने में समर्थ हो। भारत में आम धारणा यह है कि यदि आपकी साइट पर अधिक ट्रैफिक है तो आप वहा एक अन्य आइकॉन डालकर किराने की सामान की आपूर्ति शुरू कर सकते हैं। लेकिन वास्तव में स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। यहां तक कि एमेजॉन जैसी कंपनी भी छह साल से इस कोशिश में जुटी है लेकिन उसे इस श्रेणी में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। इसलिए इस श्रेणी में कई कंपनियां आईं और वापस चली गईं। चाहे फ्लिपकार्ट हो या पेटीएम मॉल, उन्हें अपना कारोबार खड़ा करने के लिए तमाम पेचीदगियों से जूझना पड़ रहा है।
चर्चा है कि जोमैटो और पेटीएम मॉल जैसी कंपनियां अधिग्रहण के लिए ग्रोफर्स से बातचीत कर रही हैं। इसके बारे में आप क्या कहेंगे?
लोग हमसे संपर्क करते हैं क्योंकि वे इस श्रेणी में अपनी मौजूदगी तलाश रहे हैं। लेकिन हमारी ओर से फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है और हमारे पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है। कारोबार के तौर पर हम अब लाभप्रद हो चुके हैं। वास्तव में हम कोई पूंजी निवेश नहीं करने जा रहे हैं और इसलिए अभी हमें कोई खास रकम की आवश्यकता भी नहीं है। लेकिन यदि हमें रकम की जरूरत पड़ेगी तो हमारे मौजूदा निवेशक इसके लिए तैयार हैं।
क्या लॉकडाउन के बाद आपको मांग बढऩे की उम्मीद है?
लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अब तक हमने करीब 25 लाख परिवारों को अपनी सेवाएं दी हैं और इस महीने हमने करीब 5 लाख अतिरिक्त परिवारों को अपने नेटवर्क में जोड़ा है। इसलिए कोई दबी हुई मांग नहीं है क्योंकि किराने का सामान हमेशा से खुला रहा है। लेकिन अब चूंकि परिचालन पूरी तरह से खुल चुका है, इसलिए हम पूरी क्षमता से अपने ग्राहकों को सेवाएं दे सकते हैं।
किन श्रेणियों में सबसे अधिक आकर्षण दिख रहा है? ग्रोफर्स कहां बड़ा दांव लगा रही है?
साफ-सफाई की वस्तुओं, पर्सनल केयर एवं ग्रूमिंग आदि श्रेणियों में लॉकडाउन के दौरान काफी आकर्षण दिखा। पैकेटबंद जिंस फिलहाल सबसे तेजी से उभरने वाली श्रेणी है क्योंकि लोग अब पैकेटबंद स्टेपल्स को खरीदने से हिचक रहे हैं। हमने टेबल क्लोथ, मैट्स, रनर्स और फुट मैट्स जैसे घरेलू वस्तुओं के एसकेयू (स्टॉक कीपिंग यूनिट) में लगातार वृद्धि की है। हमने सामान्य बिक्री के लिए 400 से 500 एसकेयू को शामिल किया है। पिछले दो महीनों से हम ताजे फल और सब्जियों की बिक्री के लिए एक अनूठी आपूर्ति शृंखला भी बना रहे हैं।
निजी लेबल में आप किस तरह की वृद्धि देख रहे हैं?
हमारी कुल बिक्री में निजी ब्रांडों की भागीदारी पहले ही करीब आधी रही है क्योंकि इसके तहत कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती हैं। अगले छह महीनों के दौरान हम बिक्री अपने निजी ब्रांड के योगदान को बढ़ाकर 60 फीसदी करने जा रहे हैं। हम उन उत्पादों के बीच संतुलन बनाकर रखते हैं जिन्हें हम सीधे विनिर्माताओं से लेकर बेचते हैं और सीधे ब्रांडों से बेचते हैं क्योंकि हम एसकेयू को 1,800 तक सीमित रखते हैं। हम अपने विनिर्माता भागीदारों को कारोबार में बनाए रखने के लिए कार्यशील पूंजी की भी मदद करते हैं।
इस साल विस्तार के लिए आपकी क्या योजना है?
लॉकडाउन के दौरान हमने तीन गोदाम खोले हैं जबकि दो अन्य गोदाम भिवाड़ी और लखनऊ में खोलने की तैयारी चल रही है। इस साल के अंत तक हम 10 से 15 अन्य गोदाम खोलने की योजना बना रहे हैं।