सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) की योजना पूंजीगत खर्च को पूरा करने, पुराने कर्ज के निपटान और परिचालन की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों के जरिये 5,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की है।
तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक और विदेशी इकाई की योजना वाणिज्यिक प्रतिभूतियों के जरिये भी 5,000 करोड़ रुपये जुटाने की है, जिसका इस्तेमाल अल्पावधि की वित्तीय जरूरतें पूरी करने पर होगा।
ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 23 के लिए ओवीएल के कुल बकाया कर्ज 38,200 करोड़ रुपये को गारंटी दी है।
अंतरराष्ट्रीय गैस व तेल उत्पादक परिसंपत्तियों में स्वामित्व मुहैया कराने के लिहाज से ओएनजीसी के लिए ओवीएल अनिवार्य है।
अजरबैजान, बांग्लादेश और ब्राजील समेत दुनिया भर के 15 देशों में ओवीएल के पास 32 तेल व दैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी है। ये आंकड़े एक अप्रैल, 2023 के हैं।
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने प्रस्तावित गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों को एएए रेटिंग और वाणिज्यिक प्रतिभूतियों को ए1 प्लस रेटिंग दी है।
कंपनी के विदेशी परिचालन को देखते हुए ओवीएल की पूरी लोनबुक विदेशी मुद्रा में है। हालांकि बैलेंस शीट और संचार के लिए इसे रुपये में पेश किया जाता है।
सितंबर 2023 के आखिर में कुल कर्ज में विदेशी मुद्रा वाले बॉन्ड 11,170 करोड़ रुपये के थे जबकि सावधि कर्ज 27,020 करोड़ रुपये के।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ओवीएल के कर्ज में ज्यादातर बढ़ोतरी अहम अधिग्रहण के समय हुई, वहीं मौजूदा पूंजीगत खर्च और परिचालन का प्रबंधन आंतरिक संग्रह और पुराने के बदले नए कर्ज के जरिए होती है।
वित्त वर्ष 25 में कंपनी को करीब 19,600 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान करना है।