बाड़मेर फील्ड से कच्चे तेल के उत्पादन शुरू होने के दो महीने पहले ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) ने सरकार से इस ब्लॉक की 30 फीसदी हिस्सेदारी छोड़ने के लिए अनुमति मांगी है। इस ब्लॉक की बाकी 70 फीसदी हिस्सेदारी ब्लॉक की ऑपरेटर केयर्न इंडिया के पास है।
ओएनजीसी शुल्कों और रॉयल्टी भुगतान की वजह से इस ब्लॉक से बाहर जाने का मन बना रही है। कंपनी का मानना है कि ऐसी स्थिति में ब्लॉक से तेल उत्पादन कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
ओएनजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमलोगों ने रॉयल्टी के संबंध में छूट देने की मांग की है। जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता है, तब तक आगे किसी प्रकार के निवेश के लिए बोर्ड की मंजूरी लेना मुश्किल होगा।’
कंपनी इस मामले में वित्त मंत्रालय का हस्तक्षेप भी चाहती है। रॉयल्टी भुगतान के मसले पर ही कंपनी ने इस ब्लॉक से बाहर होने का मन बनाया है। लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक राजस्थान ब्लॉक में ओएनजीसी बिना कोई रकम दिए 30 फीसदी हिस्सेदारी तो ले सकती है, लेकिन कंपनी को बतौर रॉयल्टी उस कंपनी को भी भुगतान करना होगा, जिसके पास 70 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसका मतलब हुआ कि ओएनजीसी को 100 फीसदी रॉयल्टी का भुगतान करना होगा, जबकि उसके पास हिस्सेदारी मात्र 30 फीसदी है। इसी वजह से कंपनी पसोपेश में है। इस बाबत जब पेट्रोलियम सचिव आर. एस. पांडेय से संपर्क की गई, तो उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
ओएनजीसी के एक अधिकारी ने कहा, ’40 डॉलर प्रति बैरल की दर से 60 लाख टन सालाना कच्चे तेल पर 1760 करोड़ रुपये बतौर रॉयल्टी देनी होगी, जो फायदेमंद नहीं है।’
