तेल-गैस

रूस पर यूरोपीय प्रतिबंधों और ट्रंप की चेतावनी के बावजूद भारत की रिफाइनरियों को तेल की आपूर्ति बनी रही

यूरोपीय प्रतिबंधों और अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत की रिफाइनरियों को नायरा एनर्जी से तेल की आपूर्ति लगातार जारी है और घरेलू ईंधन बाजार में कोई संकट नहीं है।

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एस दिनकर   
Last Updated- August 03, 2025 | 9:28 PM IST

रूस के तेल की खरीद पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा द्वितीयक कर लगाए जाने की धमकी का अब तक भारत के घरेलू ईंधन बाजार और कच्चे तेल के आयात पर तुलनात्मक रूप से कोई असर नहीं पड़ा है।

रूस की रोसनेफ्ट द्वारा संचालित भारतीय तेलशोधन कंपनी नायरा एनर्जी ने  यूरोपीय संघ के ताजा प्रतिबंधों के 18 दिन बाद भले ही अपना निर्यात बाजार अस्थायी रूप से गंवा दिया है और कंपनी को शीर्ष प्रबंधन में बदलाव करने पड़े हैं, लेकिन भारत के घरेलू ईंधन बाजार में आपूर्ति यथावत है।

अमृतसर के नजदीक छाबल रोड पर स्थित नायराएनर्जी के पेट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मचारी कार की टंकी भरते समय कंपनी की समस्याओं बेफिक्र और बेखबर नजर आए। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पेट्रोल और डीजल पर्याप्त उपलब्ध है और हाल के हफ्तों में कभी कोई कमी नहीं हुई। वह अगले दिन टैंकर से आउटलेट को फिर से भरने की उम्मीद कर रहे हैं।

 तेल शोधन कंपनी की पश्चिमी तट पर 4,00,000 बैरल प्रति दिन क्षमता की रिफाइनरी है। इसमें रूस की सरकारी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसे यूरोपीय संघ ने 18 जुलाई को निशाने पर लेते हुए कई प्रतिबंध लगा दिए, जिससे रूस का यूक्रेन में हस्तक्षेप रोका जा सके।

सरकारी रिफाइनरियों के अधिकारियों ने कहा कि नायरा स्थानीय रिफाइनरियों को भी आपूर्ति जारी रखे है। रिफाइनिंग अधिकारियों ने कहा कि यूरोपीय संघ के प्रतिबंध और उसके बाद ट्रंप द्वारा द्वितीयक शुल्क लगाने के बाद भी भारत का घरेलू ईंधन बाजार और कच्चे तेल का आयात अपेक्षाकृत अप्रभावित है।

भारत ने नायरापर कोई टिप्पणी नहीं की है।  विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ऊर्जा जरूरतों के मुताबिक हम उसके स्रोतों की तलाश करेंगे कि बाजार में क्या उपलब्ध है और किस तरह की पेशकश की जा रही है और वैश्विक स्थिति कैसी है। नायरा पर एकमात्र असर उसके निर्यात के मामले में है।  मैरीटाइम इंटेलिजेंस एजेंसी केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में निर्यात पर मामूली असर रहा और जून की तुलना में निर्यात करीब 10 प्रतिशत कम होकर 96,000 बैरल प्रति दिन रह गया। केप्लर और भारत के सीमा शुल्क के आंकड़ों के मुताबिक गणना करने से पता चलता है कि नायरा ने 2024 में 1,20,000 बीपीडी ईंधन का निर्यात किया, जिसका मूल्य करीब 2 अरब डॉलर था।

उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि निर्यात में नुकसान केवल कुछ लाख डॉलर का हो सकता है। शिप ट्रैकिंग डेटा के अनुसार यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लगने के 3 दिन बाद से वडीनार रिफाइनरी से किसी भी उत्पाद टैंकर ने ईंधन नहीं भरा है।

उद्योग सूत्रों ने कहा कि विटोल, ट्रेफिगुरा, शेल या बीपी जैसे बड़े तेल व्यापारियों के यूरोप में हित हैं और वे यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधित संस्थाओं के साथ सौदा नहीं करते हैं।

सिंगापुर स्थित दो व्यापारिक विश्लेषकों ने कहा कि नायरादुबई जैसे देशों के रास्ते निर्यात करने के विकल्प तलाश सकती है, क्योंकि उसके खरीदार प्रतिबंधित संस्था को भुगतान करने में असमर्थ हैं। ब्रिटेन के एक एनर्जी इंटेलिजेंस ने बताया कि व्यापारी ईंधन की आपूर्ति जारी रखने के लिए भारत में निर्मित डीजल और जेट ईंधन की बड़ी मात्रा को पश्चिम एशियाई उत्पादन से बदलने के विकल्पों पर काम कर रहे हैं।

First Published : August 3, 2025 | 9:28 PM IST