देश के सबसे बड़े शेयर बाजार नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सक्रिय ग्राहक आधार वित्त वर्ष 2025 में 21 फीसदी तक बढ़कर 4.92 करोड़ हो गया। वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान शेयर बाजार की शानदार तेजी ने ग्राहक संख्या में जोरदार इजाफा किया। वित्त वर्ष 2024 के अंत में सक्रिय ग्राहकों (जिन्होंने पिछले 12 महीनों में कम से कम एक कारोबार जरूर किया) की कुल संख्या 4.08 करोड़ थी।
ग्रो इन्वेस्ट टेक ने अपनी स्थिति मजबूत बनाई। उसके ग्राहकों की संख्या 36 फीसदी बढ़कर करीब 1.3 करोड़ पर पहुंच गई। इससे उसकी बाजार भागीदारी 286 आधार अंक बढ़कर 26.3 फीसदी हो गई। आईपीओ की योजना बना रही इस फर्म ने बाजार की पुरानी दिग्गज और भारत की सबसे ज्यादा मुनाफे वाली ब्रोकरेज जीरोधा को पीछे छोड़ दिया। जीरोधा की बाजार भागीदारी 184 आधार अंक घटकर 16 प्रतिशत रह गई। ऐंजल वन ने जीरोधा के साथ अंतर कम करते हुए सक्रिय ग्राहकों की संख्या में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि की और 75.8 लाख ग्राहकों का आंकड़ा दर्ज किया। यह जीरोधा के 79 लाख से थोड़ा कम है।
अपस्टॉक्स का आंकड़ा 9.2 फीसदी की कमजोर वृद्धि के साथ 27.5 लाख ग्राहक रहा। चार बड़े डिस्काउंट ब्रोकरों – ग्रो, जीरोधा, ऐंजल वन और अपस्टॉक्स की बाजार भागीदारी 63.3 फीसदी रही। यह एक साल पहले के 62.4 फीसदी से अधिक है।
पारंपरिक ब्रोकरों आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, एचडीएफसी सिक्योरिटीज, कोटक सिक्योरिटीज और एसबीआईकैप सिक्योरिटीज ने बाद के चार स्थानों पर कब्जा किया। शीर्ष-10 में, मनीलीशियस सिक्योरिटीज (धन) ने सबसे तेज वृद्धि दर्ज की। उसके सक्रिय ग्राहकों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़कर लगभग 10 लाख हो गई।
वित्त वर्ष 2025 में घरेलू ब्रोकरों ने 4.11 करोड़ डीमैट खाते जोड़े। इसके साथ ही कुल खातों की संख्या बढ़कर 19.24 करोड़ पर पहुंच गई। कोविड-19 महामारी के बाद से पूंजी बाजार ने गति पकड़ी है। इसकी मुख्य वजह आसानी से खाता खोलने की प्रक्रिया, बाजार में तेजी के रुझान और कारोबार की कम लागत है। वित्त वर्ष 2025 इक्विटी निवेशकों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा। पहली छमाही में मजबूती के बाद दूसरी छमाही में अस्थिरता आई। लिहाजा शुरुआती बढ़त का अधिकांश हिस्सा खत्म हो गया।
निफ्टी में 5.3 फीसदी और सेंसेक्स में 7.5 फीसदी की तेजी आई। यह वित्त वर्ष 2023 के बाद से इनका सबसे कमजोर वार्षिक प्रदर्शन रहा। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। इन सूचकांकों में 7.5 फीसदी और 5.4 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। पहले 6 महीनों में सेंसेक्स करीब 15 फीसदी उछला। लेकिन जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर तिमाहियों में कॉरपोरेट आय सुस्त रहने के साथ साथ ऊंचे भावों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बढ़ गया।