पहले से ही समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के भुगतान पर जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को सेवा कर विभाग की ओर से कर नोटिस भेजे जा रहे हैं। इससे परेशान मोबाइल ऑपरेटरों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सरकार को पत्र लिखकर संसद से कानून पारित कराने की मांग की है ताकि उन पर सेवा कर न लगाया जाए। अगर ऐसा नहीं हेाता है तो दूरसंचार उद्योग बेहिसाब नुकसान में डूब जाएगा। 20,000 करोड़ रुपये तक कर मांगा गया है जो एजीआर बकाये का 15 फीसदी है।
उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘यह दोहरा संकट है। पहले उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को अतिरिक्त एजीआर चुकाने के लिए कहा है और अब सेवा कर विभाग उस पर शुल्क लगाना चाह रहा है।’
भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेस सहित सभी दूरसंचार कंपनियों को उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले साल अक्टूबर में पिछला बकाया चुकाने का आदेश दिया गया था। उसके बाद से सेवा कर विभाग उन्हें नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है। भारती एयरटेल को एजीआर मद में 43,980 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया को 55,000 करोड़ रुपये और टाटा टेलीसर्विसेस को 14,000 करोड़ रुपये बकाया चुकाने को कहा गया था। सभी कंपनियों ने बकाया चुकाने के लिए 20 साल का समय मांगा है। हालांकि अभी दूरसंचार कंपनियों की इस याचिका पर अदालत में सुनवाई चल रही है।
उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि अभी इस मामले में और भी याचिकाएं आएंगी। ईवाई इंडिया में टैक्स पार्टनर विपिन सप्रा ने कहा, ‘अदालत ने कंपनियों को एजीआर पर लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की अतिरिक्त देनदारी की पुष्टि की है, ऐसे में पहले चुकाए गए सेवा कर के क्रेडिट का लाभ नहीं लिया जा सकता क्योंकि अब जीएसटी की व्यवस्था लागू हो गई है।’
सीओएआई ने सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि एजीआर बकाये पर सेवा कर नहीं लगाया जाए और अगर ऐसा किया जाता है तो पैसे को तत्काल रिफंड किया जाना चाहिए। दूरसंचार कंपनियों ने केंद्रीय उत्पाद अधिनियम की धारा 11सी के तहत सरकार से छूट की गुहार लगाई है। इस प्रावधान के तहत केंद्र सरकार केंद्रीय उत्पाद शुल्क की देनदारी से छूट दे सकती है। सीओएआई ने कहा कि अगर जरूरी हो तो संसद इस तरह की छूट देने की मंजूरी दे सकता है और उद्योग को बचाने के लिए सभी राजनीतिक दलों का साथ लिया जा सकता है। पीडब्ल्यूसी के प्रतीक जैन ने कहा, ‘मसला यह है कि भुगतान किया गया सेवा कर दूरसंचार कंपनियों को क्रेडिट के तौर पर उपलब्ध होगा और उसका इस्तेमाल आउटपुट सेवा कर या जीएसटी के एवज में किया जाएगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह क्रेडिट किस तरह से उपलब्ध होगा क्योंकि जीएसटी को लागू हुए तीन साल से अधिक हो चुका है।’
24 अक्टूबर, 2019 को उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को अपने गैर मुख्य आय को सकल समायोजित राजस्व में शामिल करने का आदेश दिया है। इस बीच कर विभाग ने कंपनियों को बकाया एजीआर पर सेवा कर का नोटिस भेजना शुरू कर दिया है क्योंकि पहले के एजीआर पर सेवा कर का भुगतान किया गया था।