राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) ने आज एडटेक कंपनी बैजूस (Byju’s) की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली। सूत्रों ने बताया कि बैजूस NCLT के इस आदेश को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली पंचाट (NCLT) में चुनौती देने की योजना बना रही है।
NCLT ने पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। पता चला है कि बैजूस ने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के प्रायोजन में BCCI को कर्ज नहीं चुका पाई है।
अंतरिम समाधान पेशेवर लेनदारों की समिति (सीओसी) गठित होने तक कंपनी के कामकाज की देखरेख करता है। लेनदारों की समिति दिवालिया प्रक्रिया में निर्णय लेने वाली संस्था होती है।
आदेश में कहा गया है, ‘यह साफ तौर पर साबित हो चुका है कि कर्ज है और उसे चुकाया नहीं गया है। ऐसे में न्यायाधिकरण (NCLT) मानता है कि देनदार कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए लेनदार द्वारा ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (IBC), 2016 की धारा 9 के तहत दायर याचिका खारिज करने का कोई कारण नहीं है। इसलिए कॉरपोरेट देनदार के खिलाफ याचिका संख्या सीपी (IB) 149/2023 स्वीकार की जाती है और IBC की धारा 14 के तहत मोरेटोरियम की घोषणा की जाती है।’
ऋण देने वाले व्यक्ति या संस्था को IBC के तहत परिचालन लेनदार कहा गया है। इसमें वह व्यक्ति भी शामिल होता है जिसे कानूनी तौर पर ऐसा कोई ऋण सौंपा गया हो।
बैजूस ने कहा कि वह BCCI के साथ सुलह करने की कोशिश कर रही है। उसके प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने हमेशा कहा है कि हम BCCI के साथ कोई सौहार्दपूर्ण समझौता करना चाहते हैं। हमें विश्वास है कि इस आदेश के बावजूद हमारे बीच सुलह हो सकती है। इस बीच हमारे वकील आदेश पढ़ रहे हैं और वे कंपनी के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।’
बैजूस अब मोरेटोरियम के दायरे में है। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी के खिलाफ ऋण की वसूली, परिसंपत्तियों की बिक्री या हस्तांतरण अथवा आवश्यक अनुबंधों को खत्म करने के लिए कोई न्यायिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।
BCCI और बैजूस के बीच प्रायोजन अनुबंध 2019 में हुआ था। उस समय कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के प्रायोजक के रूप में मोबाइल फोन निर्माता ओपो की जगह ली थी। खबरों के अनुसार यह अनुबंध 2022 में समाप्त होना था मगर इसे 2023 तक बढ़ा दिया गया था।