ऐप के जरिये इन्सुलिन पर नजर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:31 AM IST

जैव-औषधि क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बायोकॉन ने अपने कारोबारी मॉडल को विविध बनाते हुए डिजिटल थेरेप्यूटिक श्रेणी में प्रवेश किया है। कंपनी ने अपनी वैश्विक रणनीति के तहत यह पहल की है। बेंगलूरु की कंपनी की मलेशियाई इकाई ने मधुमेह रोगियों के लिए एक डिजिटल उत्पाद के विकास एवं वितरण के लिए फ्रांस की स्वास्थ्य सेवा समाधान कंपनी वोलंटिस के साथ करार किया है।
बायोकॉन बायोलॉजिक्स के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक क्रिस्टिन हैमेचर ने कहा, ‘हम कोविड के बाद दुनिया को विकसित होते देख रहे हैं। प्रौद्योगिकी और डिजिटल हमारी रणनीति में अहम भूमिका निभाती हैं क्योंकि इससे स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।’ कंपनी ने इस डिजिटल उत्पाद को इन्सुलिया नाम दिया है जो मधुमेह रोगियों को स्वचालित तरीके से दवा की खुराक के बारे में सिफारिश करता है और संदेश भेजता है। इससे स्वास्थ्य सेवा टीम को दूर से ही रोगियों में उपचार की प्रगति पर नजर रखने में मदद मिलती है।
यह एक ऐप है जिसके लिए डॉक्टर अपने समर्पित वेब पोर्टल के जरिये सुझाव दे सकते हैं और रोगी की विशेष जरूरतों केआधार पर उपचार की योजना तैयार कर सकते हैं। विकसित होने के बाद इन्सुलिया प्रमुख वैश्विक बाजारों में बायोकॉन बायोलॉजिक्स की इन्सुलिन दवाओं का इस्तेमाल करते हुए टाइप-2 मधुमेह से पीडि़त रोगियों को उपचार उपलब्ध कराएगा।

भारत में रेमडेसिविर के लिए जुबिलैंट को मंजूरी
भारतीय बाजार में रेमडेसिविर के तीन ब्रांड उतारे जाने के बाद प्रमुख औषधि कंपनी जुबिलैंट लाइफ साइंसेज ने कहा है कि उसे भी रेमडेसिविर के उत्पादन एवं विपणन के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मिल गई है।  कंपनी की सहायक इकाई जुबिलैंट जेनेरिक्स कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित रोगियों के उपचार में इस्तेमाल के लिए इस दवा का उत्पादन करेगी। भारत में इसका इस्तेमाल केवल आपात स्थितियों में ही किया जाएगा। जुबिलैंड अपनी रेमडेसिविर दवा को भारत में जुबि-आर के नाम से बेचेगी और वह 100 एमजी की शीशी में उपलब्ध होगी। कंपनी अपने वितरण नेटवर्क के जरिये भारतीय बाजार में इस दवा का वितरण करेगी जो अगस्त 2020 के पहले सप्ताह में उपलब्ध होने की उम्मीद है। बीएस

First Published : July 21, 2020 | 11:57 PM IST