कंपनी मामलों के मंत्रालय ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) में व्यापक बदलाव के प्रस्ताव किए हैं। इन संशोधनों का मकसद कंपनियों की ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया में तकनीक, पारदर्शिता और तेजी लाना है।
मसौदा प्रस्ताव निर्णायक प्राधिकरण को ज्यादा अधिकार देगा और वित्तीय ऋणदाताओं की ओर से दायर ऋणशोधन आवेदनों को अनिवार्य रूप से स्वीकार करने, मकान आवंटियों को राहत प्रदान करने के मकसद से रियल एस्टेट के लिए विशेषीकृत प्रारूप तैयार किया जाएगा। इसके पूर्व निर्धारित ऋणशोधन अक्षमता समाधान के दायरे का एमएसएमई से इतर विस्तार किया जाएगा।
सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि समाधान योजना की अवधारणा को सफल समाधान आवेदक से प्राप्त आय के वितरण के तरीके से अलग करने के लिए संहिता में संशोधन किया जा सकता है।
पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए आय के वितरण की न्यायसंगत योजना हेतु नया तंत्र प्रस्तावित किया गया है। जिसमें लेनदारों को वॉटरफॉल तंत्र के अनुसार कंपनी के परिसमापन मूल्य तक आय प्राप्त होती है।
इसके बाद अधिशेष राशि को सभी लेनदारों के बीच उनके असंतुष्ट दावों के अनुपात में बांट दिया जाएगा। इसके बाद भी अगर राशि बच जाती है तो उसे कंपनी के शेयरधारकों और साझेदारों के बीच बांटा जाएगा।
मंत्रालय ने कहा कि एमएसएमई के अलावा कॉर्पोरेट कर्जदारों की निर्धारित श्रेणियों पर भी इस ढांचे को लागू करने के लिए संहिता में संशोधन कर एक प्रावधान शामिल किया जाएगा। प्रक्रिया को तेज करने के लिए असंबद्ध वित्तीय ऋणदाताओं के लिए 66 फीसदी की सीमा को घटाकर 51 फीसदी करने का भी सुझाव है।
पूर्व निर्धारित योजना के लिए लेनदेन की घोषणा करने की आवश्यकताओं से बचने के लिए नियमों में ढील देने का भी प्रस्ताव है। कॉर्पोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान में सुरक्षित लेनदारों के कब्जे वाली संपत्तियों की बिक्री के लिए भी एक व्यवस्था बनाई जा सकती है। ऐसा तब होगा जब गारंटर और कॉर्पोरेट कर्जदार की संपत्तियां आपस में जुड़ी हुई हों।
सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि आवेदन दायर करने, नोटिस जारी करने, शेयरधारकों के समाधान पेशेवरों के साथ संवाद करने की स्वचालित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा।
निपटान में देरी और उसके कारण मूल्य में गिरावट से बचने के लिए इस पर भी विचार किया जा रहा है कि लेनदारों की समिति को एक उपयुक्त ढांचे के तहत प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों पर पारदर्शी तरीके से विचार करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने आईबीसी में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है ताकि लेनदारों की समिति की सहमति से आवंटी को स्वामित्व हस्तांतरण के साथ प्लॉट, अपार्टमेंट अथवा भवन का कब्जा आसानी से दिया जा सके।
आईबीसी के तहत मोहलत के कारण फिलहाल इसकी अनुमति नहीं है। बेजा आवेदनों को हतोत्साहित करने के लिए निर्णायक प्राधिकरण को जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।
First Published : January 18, 2023 | 10:23 PM IST