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लोकसभा चुनाव के बाद IBC पर फिर से विचार कर सकता है कंपनी मामलों का मंत्रालय

संशोधनों के ताजा दौर में संहिता में पूरी तरह से बदलाव की मांग की गई है, जिसमें रियल एस्टेट दिवाला के लिए कुछ छूट के साथ अलग से ढांचा बनाया जाना शामिल है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- December 19, 2023 | 10:54 PM IST

कंपनी मामलों का मंत्रालय (एमसीए) ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) की जरूरतों का आकलन कर आम चुनाव के बाद आगामी जुलाई-अगस्त में संशोधनों पर नए सिरे से विचार कर सकता है।

इस मामसे से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर बताया, ‘इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है कि क्या इसमें और बदलाव की आवश्यकता है? साथ ही इस पर भी चर्चा होनी चाहिए कि संशोधनों के साथ कैसे आगे बढ़ना है।’

प्रस्तावित संशोधन विधेयक पर फिर से विचार करने का फैसला इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 2016 में इसे पेश किए जाने के बाद लगातार इसमें संशोधन हो रहे हैं। अब तक 6 बार इस कानून में बदलाव हो चुका है।

संशोधनों के ताजा दौर में संहिता में पूरी तरह से बदलाव की मांग की गई है, जिसमें रियल एस्टेट दिवाला के लिए कुछ छूट के साथ अलग से ढांचा बनाया जाना शामिल है।

मसौदा विधेयक में सरकार को बड़ी कंपनियों के लिए पहले से तय दिवाला के दायरे को बढ़ाने में सक्षम बनाने की अनुमति देने संबंधी खंड भी शामिल है।

परिचर्चा पत्र में एमसीए द्वारा कुछ अन्य बदलावों का भी प्रस्ताव किया गया है। इसमें निर्णय लेने वाले प्राधिकारी को अधिक शक्ति देना और वित्तीय ऋणदाताओं द्वारा दायर दिवाला आवेदनों को अनिवार्य रूप से स्वीकार करना शामिल है।

इस विधेयक पर अंतरमंत्रालयी चर्चा पूरी हो गई है, वहीं कुछ मसलों पर शीर्ष स्तरों पर आम सहमति बनना अभी बाकी है। सीमा पार दिवाला, त्वरित निपटान व्यवस्था कुछ ऐसे मसले हैं, जिन पर अभी चर्चा चल रही है।

बहरहाल प्रस्तावित विधेयक से इतर भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) द्वारा भी नियमों में कुछ संशोधन करके कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में विभिन्न पक्षों को अधिक शक्तियां दी हैं। इनमें समाधान पेशेवर, ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) और घर खरीदारों जैसे कर्ज लेने वालों के एक वर्ग के अधिकृत प्रतिनिधि शामिल हैं।

रियल एस्टेट दिवाला के मामलों में आईबीबीआई ने बदलावों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की है, जिसके लिए कानून में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है। उदाहरण के लिए मकान के खरीदारों को राहत देने के लिए दिवाला नियामक ने कहा है कि आवंटन पाने वाले व्यक्ति की संपत्ति को समाधान प्रक्रिया और परिसमापन से बाहर रखा जाना चाहिए।

आईबीबीआई अपने नियमन के माध्यम से परियोजना पर आधारित दिवाला समाधान प्रक्रिया पर भी विचार कर रहा है, जिससे रियल एस्टेट की जरूरतों के मुताबिक समाधान व्यवस्था बनाई जा सके। साथ ही मकान के खरीदारों को समाधान आवेदक बनने की अनुमति मिल सके। सूत्रों ने संकेत दिए कि इन कदमों को देखते हुए एमसीए कानून के कुछ संशोधनों पर नए सिरे से विचार कर सकता है।

First Published : December 19, 2023 | 10:54 PM IST