भारत में 2023 की पहली छमाही में विलय और अधिग्रहण के सौदों में खासी कमी आई है। इस दौरान विलय और अधिग्रहण 76 फीसदी घटकर 3.2 अरब डॉलर रहा। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से जून के बीच कुल 1,201 सौदों की घोषणा की गई जबकि 2022 की पहली छमाही में 13.42 अरब डॉलर मूल्य के 1,914 सौदे किए गए थे।
विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों में ऐसे समय में गिरावट आई है जब बीते बुधवार को शेयर बाजार रिकॉर्ड नई ऊंचाई पर पहुंच गया और मुख्य कार्याधिकारियों को उम्मीद है कि आर्थिक गति आगे भी बरकरार रहेगी।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा अमेरिका की शार्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह पर नकारात्मक रिपोर्ट जारी करने से समूह के पूंजीकरण में भी कमी आई है। ऐसे में अदाणी समूह ने नकदी बचाने की खातिर विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों से थोड़ी दूरी बना ली है। पिछले साल मई में अदाणी समूह ने 10.5 अरब डॉलर में अंबुजा सीमेंट्स का अधिग्रहण किया था।
अभी तक घोषित प्रमुख सौदों में कनाडा की पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड द्वारा 4 अरब डॉलर में रीन्यू पावर में हिस्सेदारी खरीदना शामिल है। उसने गोल्डमैन सैक्स से रीन्यू पावर में 51.6 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इसके अलावा टेमासेक ने मनिपाल हॉस्पिटल्स में 2 अरब डॉलर के निवेश से अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 59 फीसदी कर ली।
20 जून को बीपीईए-ईक्यूटी कंसोर्टियम ने एचडीएफसी क्रेडिला में 1.3 अरब डॉलर (10,350 करोड़ रुपये) के मूल्यांकन पर बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति जताई है।
ग्लोबलडेटा में लीड विश्लेषक अरुज्योति बोस ने कहा, ‘विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियां व्यापक तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर वृहद आर्थिक चुनौतियों, भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति और मंदी की आशंका से प्रभावित हुई हैं। बाजार की अनिश्चित स्थितियों को देखते हुए सौदे करने वाले सतर्क रुख अपना रहे हैं।’
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निवेश बैंकरों ने कहा कि वैश्विक मंदी से भी भारत में विलय एवं अधिग्रहण की धारणा प्रभावित हुई है।
पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक महावीर लूनावत ने कहा, ‘ऊंची ब्याज दरों, मुद्रास्फीति का दबाव और मंदी के डर से भारत सहित दुनिया भर में विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में कमी आई है। हालांकि घरेलू मोर्चे पर स्थितियां अनुकूल हैं लेकिन वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव से बाजार की धारणा प्रभावित हुई हैं।’
उन्होंने कहा कि कई यूनिकॉर्न को कारोबार के संचालन संबंधी मसलों से जूझना पड़ रहा है और ज्यादातर नई पीढ़ी की कंपनियों का मूल्यांकन भी कम हुआ है, जिससे कुल मिलाकर भारत में कम सौदे हो रहे हैं।
साल की दूसरी छमाही में मिला-जुला रूझान नजर आ रहा है और कई बड़े सौदों पर बातचीत चल रही है। जेएसडब्ल्यू समूह, हिंदुजा, महिंद्रा एमजी मोटर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल हैं। कई निजी इक्विटी फर्में मैक्वायरी और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सड़क संपत्तियों के लिए बोलियां लगा रही हैं।