मारुति सुजुकी को उम्मीद है कि इस साल अक्टूबर में लॉन्च होने वाली उसकी कॉम्पैक्ट कार ‘ए स्टार’ प्रदूषण उत्सर्जन के कड़े नियमों पर खरी उतरेगी।
फिलहाल यह कार यूरो 3 (भारत 3) मानकों पर खरी उतर रही है, जो दिल्ली समेत 13 शहरों में लागू किए गए हैं। लेकिन कंपनी का इरादा इसे यूरोप में अगले कुछ वर्षों में लागू होने वाले मानकों के मुताबिक ढालने का है।
मारुति सुजुकी के प्रबंध निदेशक शिंजो नाकानीशी का कहना है, ‘ए स्टार का कार्बन-डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन 109 ग्रामकिलोमीटर से भी कम है, जिसके बारे में हमने पहले ही घोषणा की थी। भविष्य के यूरोपीय मानकों में प्रदूषण की सीमा 120 ग्रामकिलामीटर होगी और हमारी कार तो उसको भी पीछे छोड़ रही है।’
भारत के नियम पिछड़े
भारत के यूरो 3 नियम फिलहाल यूरोप में लागू नियमों से 5 साल पीछे हैं और इन 13 शहरों के बाहर लागू यूरो 4 तो वहां यूरोपीय बेंचमार्क से 10 साल पीछे है। भारत में यूरो 4 ग्रेडेशन में गैसें और खास पदार्थ शामिल हैं, लेकिन यूरोप उत्सर्जन रिपोर्ट सिर्फ कार्बन-डाई-ऑक्साइड उत्सजर्न के स्तर पर ध्यान देती है।
विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र की सह निदेशिक अनामिता चौधरी कहती हैं, ‘कार में कार्बन-डाई-ऑक्साइड का स्तर जितना कम होगा, वह कार ईंधन की बचत करने में उतनी ज्यादा अच्छी होगी।’ मारुति की छोटी कारों जैसे आल्टो, स्विफ्ट और 800 का उत्पादन केंद्र भारत ही है। इसी वजह से ए स्टार का उत्पादन भी यहीं किया जा रहा है। नाकानीशी का कहना है, ‘हम बाद में ए स्टार का चीन में उत्पादन करने पर विचार कर सकते हैं जो सिर्फ चीन के बाजार की जरूरतों को पूरा करेगी। ऐसी स्थिति में हमें भारत से चीन में ऑटो कलपुर्जों का निर्यात करना होगा।’
निर्यात पर भी निशाना
कंपनी को यूरोप में ए स्टार की लगभग 1 लाख कारें निर्यात करने की उम्मीद है। नाकानीशी का कहना है, ‘लॉन्च के 2 से 3 वर्ष बाद हम दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भी कार नियार्त कर सकते हैं।’ कारों के ए2 सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को इस साल से नई कंपनियों जैसे निसान, टोयोटा और होंडा के मैदान में उतरने पर बढ़ाने के लिए मारुति सुजुकी ने संकेत दिए हैं कि वह अपनी कॉम्पैक्ट स्प्लैश अगले साल लॉन्च करेगी।