शहरी इलाकों में सघन कवरेज सुनिश्चित करने और 5G सेवा तेजी से लागू करने के लिए दूरसंचार विभाग कम क्षमता के 5G ट्रांसीवर लगाने को मौजूदा मंजूरी प्रक्रिया से छूट दे सकता है। अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि इससे 600 वॉट से कम के प्रभावी रेडिएशन पॉवर के साथ लो पॉवर बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (एलपीबीटीएस) को इंस्टॉल करने की सुविधा मिल सकेगी और दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) इन्हें स्ट्रीट फर्नीचर जैसे बिजली के खंभों, बस स्टॉप और ट्रैफिक लाइट पर लगा सकेंगे।
किसी मोबाइल नेटवर्क में बीटीएस फिक्स्ड रेडियो ट्रांसीवर होते हैं। अक्सर इन्हें मोबाइल टावरों पर लगाया जाता है। 5G सेवाओं के लिए स्ट्रीट फर्नीचर पर छोटे उपकरण स्थापित करने की क्षमता दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए अहम है और उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अपने 5G नेटवर्क के प्रसार की योजना में तेजी लाएंगे। पिछले साल नवंबर में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एलपीबीटीएस की खास श्रेणी या छोटे सेल पर दाव लगाया था और अपनी आधिकारिक सिफारिशों में एरियल फाइबर बिछाने और छोटे सेल के लिए स्ट्रीट फर्नीचर अपनाए जाने की बात कही थी।
इस तरह के उपकरण या छोटे सेल के लिए सिर्फ उस एजेंसी से अनुमति लेने की जरूरत होगी, जो स्ट्रीट फर्नीचर की मालिक है। इसमें बिजली कंपनी या नगर निकाय प्रशासन या यातायात पुलिस विभाग हो सकते हैं और इसके लिए केंद्र से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। इसके रेडिएशन का स्तर कम होने के कारण छोटे सेलों को कम सुरक्षा और इंस्टॉलेशन गतिविधि की जरूरत होगी, इसलिए इसे इंस्टाल और ऑपरेट करना आसान होगा। ट्राई ने कहा था कि छोटे सेलों का इस्तेमाल ट्रैफिक ऑफलोडिंग में भी होगा क्योंकि इसकी कम फ्रीक्वेंसी वहन करने की क्षमता है।
अधिकारियों ने कहा कि 5जी के लिए स्ट्रीट फर्नीचर की स्वीकार्यता को ट्राई की ओर से पिछले साल भोपाल स्मार्ट सिटी, जीएमआर इंटरनैशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली, दीनदयाल पोर्ट, कांडला और नम्मा मेट्रो बेंगलूरु में कराए गए प्रायोगिक अध्ययनों से भी समर्थन मिलता है। 5जी जैसे उच्च फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम बैंड को शहरी इलाकों में लागू करने में 2जी, 3जी, और 4जी नेटवर्क की तुलना में कुछ चुनौतियां सामने आ रही हैं। फ्रीक्वेंसी बैंड ज्यादा होने पर वह कम दूरी तक फैल सकता है। इन बैंडों के सिग्नल इमारतों या व्यवधानों को पार कर यात्रा नहीं कर सकते।
इसकी वजह से 5जी नेटवर्क के मैक्रो सेल को सघनता से लगाने की जरूरत होगी, जिससे वे हर तरह के उपयोग और ऐप्लीकेशन को हर लोकेशन पर समर्थन कर सकें। ऐसे में इन सेलों को अब एक दूसरे से 100 मीटर की दूरी पर लगाने की जरूरत होगी, जबकि पहले 3 किलोमीटर की दूरी पर लगाना होता था। इसकी वजह से दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को नेटवर्क सघन करने के लिए छोटे सेल उपकरणों पर भरोसा करना पड़ रहा है, जिससे शहरी इलाकों में सिगनल पहुंचाया जा सके।
शहरी इलाकों में 5जी के ज्यादा इस्तेमाल की उम्मीद की जा रही है। इन सेलों की प्रसार सीमा सामान्यतया कम होती है लेकिन ज्यादा संख्या के कारण इनका भौगोलिक कवरेज बढ़ाया जा सकता है। उद्योग के आंतरिक लोगों ने कहा कि बड़े शहरों में एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इस तरह के 200 सेल स्थापित करने की जरूरत पड़ सकती है। अधिकारियों ने कहा कि नियम में बदलाव के बाद टीएसपी को भारी भरकम मंजूरी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा, जो इस समय मोबाइल टावर लगाने के मानकों में शामिल है।
डीओटी ने अगस्त 2022 में मौजूदा राइट ऑफ वे नियमों में संशोधन किया था। लेकिन ट्राई ने नियमों में आगे और संशोधन करने की सिफारिश की है, जिससे स्ट्रीट फर्नीचर शब्दावली में स्पष्टता लाई जा सके। इसमें बड़ी संख्या में आवेदनों पर विचार करने संबंधी प्रावधान भी शामिल है।