जेनसोल इंजीनियरिंग (जीईएल) फर्जीवाड़ा मामले में भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) और पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि दोनों सरकारी कंपनियां जेनसोल के फर्जी पत्रों को लेकर शिकायत दर्ज कराएंगी।
कंपनी के प्रवर्तकों अनमोल जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी के खिलाफ बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का अंतरिम आदेश आने के बाद कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने भी कहा कि वह जेनसोल इंजीनियरिंग मामले में आवश्यक कदम उठाएगा। एक समाचार एजेंसी के अनुसार मंत्रालय कंपनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुसार 15 अप्रैल को आए सेबी के आदेश की समीक्षा कर रहा है।
आरोप है कि जेनसोल ने पीएफसी और इरेडा के नाम से संचालन पत्र और अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया मगर बाद में ऋणदाताओं को पता चला कि कंपनी की तरफ से फर्जीवाड़ा किया गया है। माना जा रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के 2 ऋणदाताओं को फरवरी में ही इस मामले को लेकर आगाह कर दिया गया था। उन्हें पिछले सप्ताह बाजार नियामक की तरफ से जारी उस पत्र से पहले ही आगाह कर गया था जिसमें संचालन से जुड़ी प्रारंभिक असफलताएं, रकम की हेराफेरी और फर्जी दस्तावेज का जिक्र किया गया है। इस मामले में जानकारी के लिए पीएफसी और इरेडा को पिछले सप्ताह ईमेल भेजे गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया। इन अनियमितताओं का पता तब चला जब दो बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों केयर रेटिंग्स और इक्रा ने कर्जदाताओं के साथ इन पत्रों का सत्यापन कराने की कोशिश की।
फरवरी में साख की समीक्षा के दौरान इन एजेंसियों ने जेनसोल को अपने सभी कर्जदाताओं से हासिल सावधि ऋण से जुड़ी जानकारियां देने के लिए कहा। जेनसोल इंजीनियरिंग सोलर कंसल्टिंग सर्विसेस, इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण से जुड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि इसके जवाब में जेनसोल ने इरेडा और पीएफसी के स्टेटमेंट के बजाय संचालन पत्र थमा दिए और उनके साथ अनापत्ति प्रमाणत्र भी रेटिंग एजेंसियों को दे दिए। जब क्रेडिट रेटिंग वापस ली जाती है तो इन दोनों दस्तावेज की जरूरत पड़ती है।
सूत्रों ने दावा किया कि पीएफसी और आईआरईडीए ने ऐसा कोई पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। एक सूत्र ने कहा, ‘जैसे ही यह बात एनबीएफसी के ध्यान में आया वैसे ही उन्होंने जेनसोल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया जिसमें कंपनी को 7-15 दिनों के भीतर पूरा मामला बताने के लिए कहा।’ सूत्र ने कहा कि इस कारण बताओ नोटिस के जवाब में जेनसोल ने दावा किया कि यह फर्जीवाड़ा उसके ही एक कर्मचारी का किया हुआ था और कंपनी को इसकी भनक नहीं थी।
इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक दूसरे सूत्र ने कहा कि इरेडा और पीएफसी ने सबसे पहले अपने स्तर पर इसकी जांच शुरू कर दी और उसके बाद इस मामले की जानकारी ईओडब्ल्यू, सेबी एवं केंद्रीय वित्त मंत्रालय को दी। इन आंतरिक जांच प्रक्रियाओं में ऐसे मामले फर्जीवाड़े और संदेहास्पद गतिविधियों की जांच करने वाली समितियों को सौंप दिए जाते हैं। अगर कोई कंपनी यह साबित नहीं कर पाती है कि संबंधित मामला किसी एक व्यक्ति से जुड़ा था तो उस स्थिति में एनबीएफसी ईओडब्ल्यू को मामला भेज देती है।