HDFC Bank-HDFC Merger: एचडीएफसी लिमिटेड (HDFC Limited) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) का मर्जर 1 जुलाई से प्रभावी हो गया है। इस मर्जर के होने से ग्राहकों के मन में सवाल थे कि उन पर इसका क्या असर पड़ेगा, जिसको लेकर HDFC Bank ने बयान दिया था कि ग्राहकों, निवेशकों पर इस मर्जर का कोई विपरीत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हालांकि, मर्जर के होने से कस्टमर्स का लोन खाता एचडीएफसी बैंक में ही ट्रांसफर कर दिया जाएगा । बैंक ने बताया कि ऐसा होने से ग्राहकों के लॉगिन क्रेडेंशियल में कोर् बदलाव नहीं होगा और बैंक की सेवाओं का फायदा भी पहले की तरह ही मिलता रहेगा।
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12 जुलाई (बुधवार) को स्टॉक एक्सचेंजों पर निवेशक आखिरी बार हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन के शेयर में ट्रेडिंग कर सकेंगे। इसका मतलब है कि 13 जुलाई से HDFC के शेयरों को एक्सचेंज से हटा दिया जाएगा और इन शेयरों में ट्रेंडिंग बंद हो जाएगी। एचडीएफसी के शेयर रखने वालों को एक निश्चित अनुपात में एचडीएफसी बैंक के शेयर दिए जाएंगे।
एनएसई ने इस सप्ताह एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी कि 12 जुलाई के बाद से एचडीएफसी कॉन्ट्रैक्ट के सभी मौजूदा मासिक और साप्ताहिक कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाएंगे।
HDFC Bank-HDFC Merger के तहत HDFC के प्रत्येत शेयरहोल्डर को 25 शेयरों के बदले HDFC Bank के 42 शेयर दिए जाएंगे।
बता दें कि एलटीमाइंडट्री (LTMindtree) निफ्टी में HDFC की जगह लेगी जबकि जेएसडब्ल्यू स्टील सेंसेक्स में एचडीएफसी स्टॉक की जगह लेगी।
Nifty Next 50 में जिंदल स्टील को जोड़ा जाएगा और एलटीआईमाइंडट्री का स्थानांतरण होगा। सेंसेक्स के मामले में जेएसडब्ल्यू स्टील एचडीएफसी की जगह लेगी।
आइए, HDFC में ट्रेडिंग के आखिरी दिन जानते हैं कंपनी के इतिहास के बारे में…
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भारतीय वित्तीय क्षेत्र के एक दिग्गज शख्स हसमुख ठाकोरदास पारेख यानि एचटी पारेख (Hasmukh Thakordas Parekh) ने आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने 17 अक्टूबर 1977 को एचडीएफसी (Housing Development Finance Corporation) की शुरुआत की। इसकी शुरुआत करने का कारण था उनके मन में आम भारतीयों के लिए सवाल कि आखिर क्यों लोगों को अपना घर बनाने के लिए अपने रिटायरमेंट का इंतजार करना पड़ता है? इसी परेशानी को दूर करने के लिए एचटी पारेख ने ICICI बैंक से रिटायरमेंट लेने के बाद अपने इस सपने को सच करना का जिम्मा उठाया।
साल 1977 में 66 साल के इस अर्थशास्त्री ने हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन की नींव डाली। इसके जरिए वह देश में हर शख्स के पास अपना घर होने का सपना को पूरा करना चाहते थे। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि हसमुख ठाकोरदास पारेख ने एचडीएफसी की स्थापना बिना सरकारी मदद लिए की थी। इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने HDFC को प्रमोट किया था।
HDFC ही देश की पहली कंपनी थी जिसने लोगों को होम लोन देना शुरू किया था। बढ़ती उम्र के कारण और अपने सपने को साकार करने के लिए हसमुखभाई पारेख ने अपने भतीजे दीपक पारेख (Deepak Parekh) को भी अपने इस कारोबार में शामिल कर लिया।
एक साल के अंदर (1978) ही HDFC ने अपना पहला होम लोन मुंबई में एक शख्स डी बी रेमिडियोस को दिया था। साथ ही कंपनी ने 1978 में प्रारंभिक इश्यू भी पेश किया था जिसमें 2 रुपये मूल्य के 5 करोड़ शेयर जारी किए गए थे।
वहीं, 1981 में HDFC ने पहला रीटेल डिपॉजिट प्रोडक्ट भी लॉन्च किया था। इसी साल एचडीएफसी ने शुरुआत के सिर्फ 3 साल के अंदर ही अपने निवेशकों को 5 फीसदी के डिविडेंड का ऐलान करा था। साल 1984 तक HDFC का सालाना लोन अप्रूवल 100 करोड़ रुपये को पार पहुंच चुका था, जिससे साफ जाहिर है कि एचटी पारेख अपना सपना पूरा करने में साकार रहे।
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HDFC ने 1985 में होम सेविंग प्लान को लॉन्च किया था जो कि सेविंग अकाउंट और होम लोन का मिश्रित रूप था । एचडीएफसी ने 1987 में प्रॉपर्टी डेवलपर्स के लिए भी एक योजना शुरू की जिसकी मदद से डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट में घर खरीदने वालों को फंडिंग भी दे सकें।
साल 1989 में एचडीएफसी ने होम रेनोवेशन लोन और होम एक्सटेंशन लोन जैसी स्कीम को भी लॉन्च किया। इसके बाद ही एचडीएफसी ने लोन प्रोसेसिंग सिस्टम को कंप्यूटराइज्ड कर दिया । बता दें 1989 में एचडीएफसी ने एक साल में 1 लाख से ज्यादा यूनिट के लिए लोन को अप्रूवल भी दे दिया।
एच टी पारेख ने साल 1993 में दीपक पारेख को HDFC की सारी जिम्मेदारियां सौप कर उन्हें कंपनी का चेयरमैन बना दिया। बता दें कि 90 के दशक में जब आरबीआई (Reserve Bank of India) ने बैंकिंग सिस्टम का विस्तार करने के लिए लाइसेंस देना शुरू किया था तो एचडीएफसी ने भी लाइसेंस पाने के लिए आवेदन किया था। सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद साल 1994 में एचडीएफसी को बैंक के तौर पर लाइसेंस मिल गया।
इसी साल से एचडीएफसी फाइनेंस के साथ-साथ अब निजी क्षेत्र में HDFC बैंक का भी विस्तार होने लगा।
एचडीएफसी ने 1994 में नॉन रेजीडेंशियल प्रिमाइसेस लोन शुरू कर के कंज्यूमर फाइनेंस के लिए जीई कैपिटल के साथ डील की। कंपनी ने 1996 में दुबई में अपना पहला इंटरनेशनल ऑफिस ओपन किया। इसके अलावा, साल 1999 में कंपनी ने अपनी वेबसाइट को भी लॉन्च किया। साल 2006 में एचडीएफसी ने अपना दूसरा इंटरनेशनल ऑफिस लंदन में भी खोल दिया।
12 जुलाई को एचडीएफसी का नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा क्योंकि ये अपनी शुरुआत के 45 साल बाद उसी बैंक में मर्ज हो जाएगा जिसे 1994 में उसकी सब्सिडियरी के रूप में शुरू किया गया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस विलय के बाद मार्केट कैप के हिसाब से HDFC Bank दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। जेपी मॉर्गन, इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चीन, बैंक ऑफ अमेरिका के बाद एचडीएफसी सबसे बड़ी कंपनी होगी।
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