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Opinion: विलय से HDFC में आएगी मजबूती

विलय के बाद नई इकाई की 3,500 शहरों में 8,344 शाखाओं में 1.77 लाख से अधिक कर्मचारी आवास ऋण के बाजार में सक्रिय हो जाएंगे।

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- July 06, 2023 | 11:24 PM IST

टाइम्स बैंक का 26 फरवरी 2000 को एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank Merger) में विलय हो गया था। यह भारतीय बैंकिंग कारोबार में पहला विलय था और यह इस दृष्टिकोण से भी अलग था कि सौदा शेयरों की अदला-बदली के माध्यम से हुआ था। इस विलय के बाद एचडीएफसी बैंक व्यवसाय एवं बाजार मूल्यांकन के लिहाज से बड़े बैंकों की सूची में शामिल हो गया।

इससे भी बड़ा सौदा एचडीएफसी बैंक ने फरवरी 2008 में किया। एचडीएफसी बैंक और सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब (सेंचुरियन पीओबी) दोनों ने विलय का सौदा किया और जो तब भारतीय बैंकिंग कारोबार के इतिहास में सबसे बड़ा विलय साबित हुआ। अब एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी बैंक का आपस में विलय हुआ है। हालांकि, भारतीय वित्तीय तंत्र में यह सबसे बड़ा विलय नहीं है मगर बाजार मूल्य के लिहाज से इसे सबसे बड़ा जरूर कहा जा सकता है।

शुक्रवार को एचडीएफसी बैंक एवं इसके प्रवर्तक एचडीएफसी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 14.67 लाख करोड़ रुपये था। यह आंकड़ा सभी सूचीबद्ध बैंकों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण के आधे से अधिक और सरकार नियंत्रित बैंकों के पूंजीकरण का डेढ़ गुना था। वैश्विक स्तर पर यह बैंकों के बीच बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह चौथा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

दोनों इकाइयों में विलय की संभावना शुरू से ही थी। एचडीएफसी बैंक के निवेशक शुरू से ही आवास ऋण कारोबार के पक्ष में थे मगर एचडीएफसी भी इस कारोबार में थी इसलिए वह इसके लिए राजी नहीं हो रही थी। इसके अलावा नियमन से जुड़े कुछ विषय भी थे। इनमें सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर)- सरकारी बॉन्ड में बैंकों द्वारा किया जाने वाला अनिवार्य निवेश, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)- जमा रकम का एक हिस्सा आरबीआई के पास रखने की अनिवार्यता- और प्राथमिक क्षेत्र को ऋण आवंटन से जुड़ी शर्तें थीं।
अब ये शर्तें थोड़ी नरम हुई हैं।

उदाहरण के लिए एसएलआर अब 18 प्रतिशत और सीआरआर 4.5 प्रतिशत हैं। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) सहित बैंक और गैर-बैंकिंग इकाइयों के नियमन में समानता आ रही है और आरबीआई ने आकार, गतिविधि और जोखिम आधारित (स्केल बेस्ड रेग्यूलेशन) उधारी नियमन प्रभावी कर दिए हैं। अब बैंकों और गैर-बैंकिंग इकाइयों दोनों के लिए परिसंपत्ति वर्गीकरण नियम लगभग समान हो गए हैं।

एचएफसी को कोई विशेष रियायत नहीं दी जा रही है। ऐसे में मूल कंपनी के साथ विलय कर एचडीएफसी को क्यों नहीं बड़ा और मजबूत बनाया जाए? इस विलय के पीछे यही सोच दिख रही है।

विलय के बाद कंपनी और खुदरा ऋणों का अनुपात 58:42 से कम होकर 50:50 रह जाएगा

विलय के बाद बैंक का स्वरूप क्या होगा? मार्च 2023 के बहीखाते के अनुसार एचडीएफसी बैंक का परिसंपत्ति आधार 31.94 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा (आईसीआईसीआई बैंक का दोगुना मगर एसबीआई की तुलना में काफी छोटा)। इसका आवास ऋण खाता 6.71 लाख करोड़ रुपये (कंपनियों को दिए ऋण शामिल नहीं) के साथ बैंकिंग उद्योग में सबसे बड़ा हो जाएगा। इसकी तुलना में एसबीआई का आवास ऋण खाता 6.41 लाख करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई का 3.45 लाख करोड़ रुपये है।

विलय के बाद कंपनी और खुदरा ऋणों का अनुपात 58:42 से कम होकर 50:50 रह जाएगा। अधिक मात्रा में आवास ऋणों के बैंक के बहीखाते में आने के बाद असुरक्षित ऋणों का हिस्सा समग्र खाते में 11 प्रतिशत से कम होकर 7 प्रतिशत रह जाएगा और इसके खुदरा ऋण खाते में 27 प्रतिशत से कम होकर 15 प्रतिशत रह जाएगा। इससे बैंक के बही-खाते में मजबूती आएगी और ऋण पर लागत संभवतः कम हो जाएगी। एचडीएफसी बैंक के ऋणों की औसत अवधि भी कम हो जाएगी क्योंकि आवास ऋण औसतन छह वर्षों तक चलते हैं।

बैंक को एसएलआर एवं सीआरआर से जुड़ी अनिवार्यता तत्काल पूरी करनी होगी मगर प्राथमिक क्षेत्र को ऋण आवंटन से जुड़ी शर्त पूरी करने के लिए इसे आरबीआई से तीन वर्षों का अतिरिक्त समय मिला है। विलय की अन्य शर्तों के अनुसार एचडीएफसी बैंक अपनी जीवन एवं गैर-जीवन बीमा कंपनियों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगी जबकि एचडीएफसी को शिक्षा ऋण देने वाली एनबीएफसी एचडीएफसी क्रेडिला में अपनी हिस्सेदारी कम कर 10 प्रतिशत से नीचे करने के लिए कहा गया था।

एचडीएफसी की स्थापना अक्टूबर 1977 में ब्रिटेन की बिल्डिंग सोसाइटीज और अमेरिका के सेविंग्स एवं लोन्स एसोसिएशन की तर्ज पर हुई थी। यह तब से एक ही कारोबार में रही है। एचडीएफसी बैंक में इसकी हिस्सेदारी 21 प्रतिशत थी।

मर्जर से एचडीएफसी बैंक को आवास ऋण कारोबार को चमकाने में मिलेगी मदद

2002 में आईसीआईसीआई के आईसीआईसीआई बैंक में विलय होने के बाद से ही एचडीएफसी के संभावित विलय की चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि, उस समय विलय के हालात अलग थे। आईसीआईसीआई परिसंपत्ति-देनदारी के एक बड़े असंतुलन से जूझ रही थी और बदलते हालात में इसके लिए टिके रहना मुश्किल हो रहा था। 2004 में आईडीबीआई का विलय भी इन्हीं कारणों से आईडीबीआई बैंक में हो गया। मगर एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी का विलय इनसे अलग है।

विलय के एचडीएफसी बैंक को आवास ऋण कारोबार को चमकाने में मदद अवश्य मिलेगी। विलय के बाद नई इकाई की 3,500 शहरों में 8,344 शाखाओं में 1.77 लाख से अधिक कर्मचारी आवास ऋण के बाजार में सक्रिय हो जाएंगे। इससे आवास ऋण बाजार में उथल-पुथल मच जाएगी। कई इकाइयों को तो अपनी योजनाओं पर दोबारा विचार करना होगा।

टाइम्स बैंक का विलय होने के बाद एचडीएफसी बैंक का शेयर लगभग हरेक दिन सर्किट ब्रेकर छू रहा था। 26 नवंबर, 1999 को विलय की घोषणा और 26 फरवरी, 2000 को इसके प्रभावी होने के दरम्यान शेयर 98.90 रुपये से उछलकर 227.50 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब के एचडीएफसी बैंक में विलय होने के बाद बाजार की प्रतिक्रिया अलग रही थी। एचडीएफसी बैंक का शेयर फिसल गया क्योंकि निवेशकों को लगा कि बैंक ने सेंचुरियन के अधिग्रहण के लिए काफी अधिक भुगतान किया है। इस विलय को पचा पाने और एचडीएफसी बैंक को फिर चमकाने में निवेशकों को थोड़ा समय लग गया।

एचडीएफसी बैंक-एचडीएफसी विलय को लेकर निवेशकों का व्यवहार कैसा रहता है इसे लेकर हमें थोड़ा इंतजार करना होगा। विलय के बाद एचडीएफसी बैंक की लगभग सभी कारोबारी खंड में उपस्थिति रहेगी जिससे इसका दायरा और बड़ा हो जाएगा। इसके कई लाभ भी मिलेंगे। चूंकि, यह विलय एक आंतरिक मामला होगा इसलिए इसमें कोई झमेला नहीं आना चाहिए। निवेशकों के लिए भी चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए।

(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं।)

First Published : July 6, 2023 | 11:24 PM IST