देश में बिजली की मांग बढ़ रही है, जिससे आपूर्ति की कमी सामने आ रही है और इससे बिजली उत्पादकों को जल्द रिटर्न का मौका मिल रहा है। जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने ऐसा ही करने की योजना बनाई है। उसने अपनी कुछ भंडारण और बिजली क्षमताओं को हाजिर बाजार के लिए खुला रखा है।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने इस महीने अपनी इंड-बराथ परिसंपत्ति की पहली इकाई और वित्त वर्ष 2024 के अंत तक दूसरी इकाई चालू करने की योजना बनाई है, जिसकी कुल क्षमता 700 मेगावॉट बिजली उत्पादन है।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी के निदेशक (वित्त) प्रीतेश विनय ने कहा ‘हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां राज्य बिजली खरीद समझौते (पीपीए) चाहते हैं, लेकिन हम नहीं चाहते हैं। यह रिटर्न हासिल के लिए अति सामान्य जरिया है और परियोजना के लिए जल्द भुगतान करने का अवसर है।’
पीपीए पूर्व-निर्धारित दर पर दीर्घकालिक खरीद का समझौता होता है, जो राजस्व की स्पष्टता और कम जोखिम की पेशकश करता है। व्यापारिक बाजार में बिना किसी खरीद आश्वासन के बिजली की बिक्री के संबंध में अधिक जोखिम और अधिक रिटर्न की गुंजाइश होती है। विनय ने बताया कि प्रति यूनिट दो रुपये से लेकर 2.5 रुपये का दायरा बनाने का अवसर है। देश की बिजली की कमी 700 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता तक सीमित नहीं है।
कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत जैन ने भी जुलाई में विश्लेषकों को सूचित किया था कि कंपनी ने इन्हीं वजहों से अपनी 500 मेगावॉट/1,000 मेगावॉट की बैटरी भंडारण प्रणाली का 40 प्रतिशत हिस्सा खुला रखने की योजना बनाई है। कंपनी की 40 प्रतिशत बैटरी भंडारण परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम जानबूझकर फिलहाल इसे अल्पकालिक बाजार में रख रहे हैं, क्योंकि हमें काफी बड़ी मध्यस्थता नजर आ रही है।
विनय को उम्मीद है कि भारत की बिजली मांग कम से कम छह से सात प्रतिशत तक बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि बिजली किल्लत की दो से तीन साल तक की लंबी अवधि रहने वाली है, जो इसे इस क्षेत्र के लिए आकर्षक बना देती है। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि कंपनियां इस संबंध में कैसा प्रदर्शन करती हैं।
पिछले दशक की शुरुआत में वर्ष 2010 में जेएसडब्ल्यू एनर्जी के पास अपनी बिजली क्षमता का अधिकांश हिस्सा व्यापारिक बाजार में था। कंपनी वर्षों से पीपीए गठजोड़ वाले मॉडल की दिशा में बढ़ी है। विनय ने स्पष्ट किया कि दीर्घकालिक पीपीए रणनीति जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह हमारी नीति में एक असामान्य चीज है, जिसे किसी प्रवृत्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। पीपीए के जरिये सुनिश्चित राजस्व और खरीद ही आगे बढ़ने का रास्ता है। हम जोखिम ले रहे हैं और बहुत छोटी क्षमता के साथ अवसर का फायदा उठा रहे हैं, शेष दीर्घकालिक बना हुआ है।