जेट एयरवेज के शेयरधारकों ने कंपनी के वित्त वर्ष 2019 व वित्त वर्ष 2020 के वित्तीय खातों को अस्वीकार कर दिया है। नरेश गोयल की तरफ से गठित कंपनी ने अप्रैल 2019 में परिचालन बंद कर दिया था और दो साल से दिवालिया कार्यवाही के तहत है। नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इस विमानन कंपनी को पटरी पर लाने के प्रस्ताव पर जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है।
लेकिन एनसीएलटी के फैसले से पहले विमानन कंपनी के शेयरधारकों ने मंगलवार को आयोजित सालाना आम बैठक में अंकेक्षित खाता बही को मंजूरी देने वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के वित्तीय खाते को पिछली जुलाई में अंतिम रूप दिया गया था जबकि मार्च 2020 में समाप्त वित्त वर्ष के खाते को फरवरी में अंतिम रूप दिया गया था। दोनों वर्र्षोंे के अंकेक्षित खाते इस हफ्ते सालाना आम बैठक में शेयधारकों की मंजूरी के लिए रखे गए।
गोयल हालांकि इस मतदान में अनुपस्थित रहे, लेकिन 95 फीसदी शेयरधारकों ने दोनों वर्षों के वित्तीय खाते को मंजूरी देने वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। संस्थागत निवेशकों ने भी इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। शार्प ऐंड टैनन को सांविधिक अंकेक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव को हालांकि मंजूरी मिल गई।
वित्त वर्ष 2019 में जेट एयरवेज ने 5,539 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था जबकि उसके बाद वाले वर्ष में कंपनी का नुकसान 2,841 करोड़ रुपये रहा।
मौजूदा शेयरधारिता ढांचे के तहत गोयल के पास कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। एतिहाद एयरवेज के पास 24 फीसदी हिस्सेदारी जबकि बाकी संस्थागत व आम सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है।
कालरॉक-जालान कंसोर्टियम ने अपने प्रस्ताव में शेयरधारिता ढांचे में बदलाव की बात कही है, जिसके तहत उसके पास करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी होगी। बैंकों के पास 9 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी होगी जबकि आम शेयरधारकों के पास एक फीसदी से भी कम हिस्सा होगा।