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भारत में बुलडोजर का पर्याय बन गई जेसीबी

Last Updated- December 11, 2022 | 7:35 PM IST

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ शुक्रवार को व्यापार एवं उद्योग पर चर्चा करना था लेकिन वह दिन भर निर्माण उपकरण कंपनी जेसीबी के संबंध में बोलते रहे। जेसीबी की खुदाई करने वाली मशीन ठीक उसी तरह बुलडोजर का पर्याय बन चुकी है जैसे फोटोकॉपियर मशीन का पर्याय जेरॉक्स और म्युजिक प्लेयर का पर्याय वॉकमैन बन चुकी हैं। समाचार पत्रों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जैसे ही एक नई काली एवं पीली मशीन से हाथ हिलाते जॉनसन की तस्वीरें सामने आईं, कई लोग सोशल मीडिया के जरिये उस पर चर्चा करने लगे कि दिल्ली सहित कई राज्यों में विध्वंस की पृष्ठभूमि के खिलाफ उन तस्वीरों को पेश की जा सकती हैं। लेकिन सवाल यह है कि किस प्रकार जेसीबी भारत में बुलडोजर का पर्याय बन गई?
भारत में जेसीबी का उदय कोई किसी नाटकीय घटना से कम नहीं है। खासकर पिछले दो दशक के दौरान जब देश ने अपने बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिया तो इसकी लोकप्रियता तेजी से बढऩे लगी। भारत में विनिर्माण के अपने पहले वर्ष 1979 के दौरान कंपनी ने 39 मशीनों का उत्पादन किया था। अगले साल का उत्पादन करीब 5 लाख होने का अनुमान है। कैपिटालाइन के आंकड़ों के अनुसार, जेसीबी का भारतीय बाजार से प्राप्त राजस्व 2010-11 में 4,500 करोड़ रुपये था जो बढ़कर 2020-21 में करीब 12,000 करोड़ रुपये हो गया। जबकि इस दौरान उसका मुनाफा 483 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 1,500 करोड़ रुपये हो गया।
जेसीबी इंडिया के पास अब छह कारखाने हैं। साल 2007 के बाद भारत जेसीबी का सबसे बड़ा बाजार रहा है और 2014 तक कंपनी के कुल राजस्व में भारत का योगदान करीब 18 फीसदी रहा है। आज भारत में बिने वाली प्रत्येक दो निर्माण मशीनों में से एक जेसीबी द्वारा विनिर्मित है। समय के साथ-साथ जेसीबी की मशीनों ने अपनी एक अलग पहचान बना ली। अभिनेत्री सनी लियोनी को जेसीबी बैकहो लोडर पर पोज देते देखा जा सकता है। शादी के एल्बम में भी दुल्हे की ऐसी तस्वीरें दिखने लगीं जहां दुल्हा एक्सकेवेटर चला रहा हो। भारतीय बाजार में कैटरपिलर, महिंद्रा और वॉल्वो जैसे दमदार प्रतिस्पर्धियों के बावजूद जेसीबी की बैकहो लोडर मशीन बुलडोजर के तौर पर अपनी दमदार पहचान बनाने में सफल रही।

First Published - April 25, 2022 | 12:53 AM IST

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