ओटीटी कंपनियों के लिए दिशानिर्देशों को (आईटी अधिनियम के तहत) को सख्त बनाने संबंधी मसौदे को आगे बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की पहल को झटका लग सकता है क्योंकि यह दूरसंचार नियामक के अधिकार क्षेत्र में है। इसमें कहा गया है कि उनकी दूरसंचार सेवाओं की गोपनीयता एवं सुरक्षा के संबंध में किसी नियामकीय दखल की आवश्यकता नहीं है। इन दिशानिर्देशों के तहत कहा गया है कि ओटीटी सेवा प्रदाताओं का यह दायित्व है कि वह कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता के लिए सूचना के मूल लेखक को निर्धारित करने और उनकी पहचान करने में मदद करें।
ओटीटी संचार सेवा प्रदाताओं में व्हाट्ïसऐप, टेलीग्राम, स्काइप, वाइबर, गूगल डुओ और हाइक शामिल हैं। उनका कहना है कि व्हाट्ïसऐप जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप के लिए ऐसा करना संभव नहीं होगा। ओटीटी सेवा प्रदाताओं के अनुसार, भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का रुख उन्हें मजबूती देगा और मसौदा दिशानिर्देशों के विरोध में उनकी मदद करेगा। देश भर में फर्जी खबरों को फैलाने और यहां तक कि दंगा भड़काने के लिए इस तरह के मैसेजिंग साइट्ïस के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर इन दिशानिर्देशों पर चर्चा चल रही है।
एक शीर्ष ओटीटी कंपनी के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, ‘अब इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (जो मसौदा दिशानिर्देश को आगे बढ़ा रहा है) दूरसंचार नियामक जैसी विशेषज्ञ निकाय की सिफारिशों को नजरअंदाज नहीं कर सकता जो एन्क्रिप्शन को कमजोर करने वाले किसी भी हस्तक्षेप के खिलाफ है क्योंकि इससे प्रणाली कमजोर होगी जिसका गैरकानूनी तरीके से दुरुपयोग किया जा सकता है।’ अधिकारी ने कहा कि ट्राई ने अपनी सिफारिशों में स्पष्टï रूप से सलाह दी है कि जल्दबाजी में कोई नीतिगत हस्तक्षेप न करें क्योंकि इससे उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ट्राई ने कहा है कि इन मुद्दों पर अंतरराष्टï्रीय दूरसंचार संघ जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म पर हो रहे विचार-विमर्श के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।
ओटीटी कंपनियों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से हस्तक्षेप के लिए कोई भी प्रणाली उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता से समझौता होगा और इसका दुरुपयोग अवैध संस्थाओं अथवा यहां तक कि दुश्मन देशों द्वारा भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नियामकीय ढांचे पर सहमति बनने में चार से पांच साल लग सकते हैं। हालांकि दूरसंचार ऑपरेटर ट्राई के तर्क से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि इन सिफारिशों को सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के साथ ही जारी रखना चाहिए।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक एसपी कोछड़ ने कहा, ‘कानूनी तरीके से इंटरसेप्शन का दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा अनुपालन किया जाता है लेकिन वह दूरसंचार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लागू नहीं होता जो राष्टï्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। यह गोपनीयता एवं सुरक्षा मानदंडों के बारे में भी उतना ही सच है जो दूरसंचार कंपनियों पर लागू होते हैं लेकिन दूरसंचार ओटीटी पर लागू नहीं होते।’ ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में दूरसंचार ओटीटी के लिए कोई नियामकीय ढांचा नहीं है। हालांकि चीन और कुछ पश्चिम एशियाई देशों ने इस प्रकार के ऐप को ब्लॉक कर दिया है। ट्राई ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा है कि ओटीटी दूरसंचार सेवाओं का ढांचा अंतिम उपयोगकर्ता की सुरक्षा के लिए विकसित हो रहा है और एन्क्रिप्शन प्रौद्योगिकी को इस तरीके से तैनात किया गया है ताकि वह बिचौलियों को स्पष्टï सामग्री अथवा समझने योग्य सामग्री हासिल करने से रोकती है।