विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के दूसरे चरण के क्रियान्वयन के लिए एक बार फिर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को चुना है। पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम देश का अब तक का सबसे बड़ा ई-गवर्र्नेंस प्रोग्राम है। टीटीएस इस परियोजना का प्रबंधन 9.5 साल तक करेगी, जिसे 11.5 साल तक बढ़ाया जा सकेगा।
कंपनी ने हालांकि इस अनुबंध की वित्तीय जानकारी नहीं दी, लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि यह सौदा 6,000 से लेकर 8,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। इस कार्यक्रम के अगले चरण में टीसीएस मौजूदा सुविधा व सिस्टम को बेहतर बनाएगी, नए समाधान विकसित करेगी ताकि बायोमेट्रिक्स, कृत्रिम बौद्धिकता, एडवांस डेटा एनालिटिक्स, चैटबोट्स, ऑटो-रिस्पांस, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और क्लाउड जैसी तकनीकों के इस्तेमाल के जरिए ई-पासपोर्ट जारी हो सके।
टीसीएस के बिजनेस यूनिट हेड (पब्लिक सेक्टर) तेज भाटला ने कहा, इस अनुबंध का पहला पहलू मौजूदा सिस्टम को बेहतर बनाने से जुड़ा है। हमने साल 2008 से विदेश मंत्रालय के साथ इस सौदे पर काम शुरू किया है, ऐसे में तकनीक को और बेहतर बनाना जरूरी है। हमने जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए हैं मसलन डेटा सेंटर, सर्वर आदि उन्हें और बेहतर बनाया जाएगा, जिस पर 18 मीहने लगेंगे और बाकी समय इस परियोजना के परिचालन में लगेगा। भाटला ने हालाकि इस सौदे के आकार पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि भारत के लिहाज से यह सौदा कंपनी के लिए सबसे बड़े सौदों में से एक होगा।
पहले चरण में प्राथमिक व द्वितीयक डेटा सेंटर लगाने के बाद कंपनी की योजना तीसरा डेटा सेंटर स्थापित करने की है ताकि अहम डेटा स्टोर किया जा सके। ऐप्लिकेशन के लिहाज से भी सिस्टम को बेहतर बनाया जाएगा क्योंकि नई तकनीक इससे जुड़ेगी। उन्होंने कहा, इस बार विचार यह है कि जितना ज्यादा नागरिक तक पहुंचना संभव हो, वहां तक पहुंचा जाए। इस पर विचार होगा कि क्या नागरिकों को घर पर सेवा मुहैया कराने के लिए मोबाइल वैन लगाया जाए। ऐसे में वर्जन 2.0 में ऐसी काफी चीजें सामने आएंगी।
ई-पासपोर्ट में चिप लगा होगा और यह जल्द ही वास्तविकता भी बन जाएगी। भाटला ने कहा, विदेश मंत्रालय ने ई-पासपोर्ट की ओर बढऩे के अपने इरादे के बारे में बताया था। पासपोर्ट बुकलेट में चिप लगाने की योजना है, जो डेटा को और सुरक्षित बना सकता है और हम इसे पढऩा भी आसान बना देंगे। ऐसे में यह आगे अपनाई जानेवाली प्रक्रिया का हिस्सा है। वर्जन-2.0 ई-पासपोर्ट इस मोर्चे पर भी काम शुरू करेगा।
साल 2008 में पेश पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम में टीसीएस ने पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की डिलिवरी में काफी सुधार किया है और इसके लिए प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण किया गया, टाइमलाइन, पारदर्शिता व भरोसे को लेकर वैश्विक बेंचमार्क स्थापित किए गए।
इस परियोजना के तहत टीसीएस व विदेश मंत्रालय ने 93 पासपोर्ट सेवा केंद्र, 428 पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र और 36 पासपोर्ट कार्यालय स्थापित किए हैं। कुछ महीने पहले विदेशी मिशन व एम्बेसी को भी टीसीएस के सिस्टम के साथ एकीकृत किया गया।
भाटला ने कहा, देश में करीब 8.6 करोड़ ऐक्टिव पासपोर्ट हैं लेकिन देश की आबादी के लिहाज यह संख्या काफी छोटी है। ऐसे में सरकार अपने ज्यादातर नागरिकोंं तक पासपोर्ट सेवा पहुंचाने में लगी रहेगी। हमारे लिए यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हम वैश्विक स्तर पर अपने क्लाइंटों से 20-25 साल के जुड़ाव का समारोह मना रहे हैं। यहां भी हमारे पास इसे दोहराने का मौका है।