भारत में पांच साल में पहली स्पेक्ट्रम नीलामी मंगलवार को संपन्न हो गई। इस दौरान विभिन्न दूरसंचार कंपनियों ने 77,814.80 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम खरीदे। अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाई। दो दिन तक चली नीलामी में जियो ने करीब 57,123 करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम की बोली लगाई है। भारती एयरटेल ने 355.45 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए 18,699 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। हालांकि 700 मेगाहट्र्ज और 2,500 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के लिए कोई खरीदार नहीं मिला। नीलामी में करीब एक-तिहाई स्पेक्ट्रम 700 मेगाहट्र्ज बैंड के थे। 2016 में भी इस बैंड के स्पेक्ट्रम को कोई खरीदार नहीं मिला था।
सोमवार को सात बैंड पर 2,308.80 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू हुई थी। इसका आरक्षित मूल्य करीब 4 लाख करोड़ रुपये था। वोडाफोन आइडिया ने केवल 1,993.40 करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम खरीदे हैं।
दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश ने कहा कि दो दिन की नीलामी में 77,814 करोड़ रुपये मूल्य का 855.60 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदे गए। कुल मिलाकर नीलामी में रखे गए स्पेक्ट्रम में से करीब 60 फीसदी की बिक्री हुई। अंशु प्रकाश ने कहा कि अधिकतर बोलियां आधार मूल्य या न्यूनतम मूल्य पर मिली हैं।
जियो ने कहा कि उसने देश भर के सभी 22 सर्किलों में स्पेक्ट्रम के उपयोग के अधिकार हासिल किए हैं। जियो ने नीलामी में 488.35 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई है, जो कुल पेश स्पेक्ट्रम का करीब 55 फीसदी है। जियो ने कहा कि उसने जो स्पेक्ट्रम खरीदे हैं, वे 5जी तकनीक में इस्तेमाल के अनुकूल हैं। घाटे में चल रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया ने पांच जोन में 11.9 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खरीदे हैं।
भारती एयरटेल ने कहा कि उसने गीगाहट्र्ज से नीचे के बैंड और 2,300 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम खरीदे हैं। एयरटेल ने कहा कि बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने के बावजूद 700 मेगाहट्र्ज के लिए किसी भी ऑपरेटर ने बोली नहीं लगाई क्योंकि इसका आरक्षित मूल्य काफी ज्यादा था।
विश्लेषकों का कहना है कि गीगाहट्र्ज बैंड से नीचे अन्य स्पेक्ट्रम कम कीमत पर उपलब्ध है। ऐसे में ज्यादातर ऑपरेटर नए स्पेक्ट्रम में निवेश नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि ऐसे में उन्हें उपकरणों पर अतिरिक्त खर्च करना होगा।