देश के आईटी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान प्रति कर्मचारी राजस्व (आरपीएच) में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। एचएसबीसी सिक्योरिटीज ऐंड कैपिटल मार्केट रिसर्च रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
हालांकि यह किसी सकारात्मक रुझान की तरह लग सकता है लेकिन बारीकी से जांच करने पर पता चलता है कि प्रति कर्मचारी राजस्व में यह वृद्धि अंतर्निहित मूल्य निर्धारण रुझानों के बजाय मुख्य रूप से अधिक उपयोग, पास-थ्रू राजस्व और उप-अनुबंध अनुपात जैसे कारकों से हुई है।
रिपोर्ट से पता चलता है प्रति कर्मचारी राजस्व में नौ प्रतिशत की वृद्धि के साथ इन्फोसिस बड़े स्तर वाली कंपनियों में अग्रणी रही। पर्सिस्टेंट सिस्टम्स (पीएसवाईएस), केपीआईटी और एमफैसिस (एमपीएचएल) जैसी मझोले स्तर वाली कंपनियों ने क्रमशः 14 प्रतिशत, आठ से नौ प्रतिशत और आठ से नौ प्रतिशत की दमदार प्रति कर्मचारी राजस्व वृद्धि दर्ज की है।
एचएसबीसी के योगेश अग्रवाल और प्रतीक माहेश्वरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हालांकि उपयोग के लिए समायोजित किया जाए तो प्रति कर्मचारी राजस्व में वृद्धि खासी कम है लेकिन इन्फोसिस के लिए यह लगभग दो से तीन प्रतिशत और पूरे क्षेत्र के लिए लगभग स्थिर है। प्रति कर्मचारी राजस्व में यह वृद्धि मुख्य रूप से दक्षता के आंतरिक उपायों, कई वर्षों वाले बड़े सौदों को हासिल करने और पास-थ्रू राजस्व के साथ कार्यस्थल वाली बड़ी परियोजनाओं से हुई है।’
प्रति कर्मचारी राजस्व या आरपीएच उद्योग का महत्वपूर्ण पैमाना होता है क्योंकि इसे मूल्य निर्धारण रुझान के प्रतिस्थापन के रूप में माना जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रति कर्मचारी राजस्व मार्जिन की कीमत पर आया है। उदाहरण के लिए पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का प्रति कर्मचारी राजस्व बड़े सौदे हासिल करने की वजह से बढ़ गया है लेकिन यह मार्जिन को कम करने वाला भी है। वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में कंपनी का एबिटा मार्जिन 14 प्रतिशत रहा, जो इससे पिछली तिमाही में 14.5 प्रतिशत था।