सरकार की ओर से बुधवार को घोषित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर शुरुआती प्रतिक्रियाएं सकारात्मक रही हैं। लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर और मोबाइल फोन बनाने वाली वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों ने इस योजना में भाग लेने के लिए रुचि दिखाई है। इस योजना का उद्देश्य इन वस्तुओं के स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देना है क्योंकि इनमें से अधिकतर उत्पाद फिलहाल आयात किए जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, फ्लेक्स, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, पेगाट्रॉन क्वांटा कंप्यूटर्स, कॉम्पेल और इन्वेंटेक जैसी कंपनियां इस प्रोत्साहन योजना के तहत काम करने के लिए आवेदन करने पर विचार कर रही हैं। फ्लेक्स और विस्ट्रॉन ने इस मुद्दे पर टिप्पणी न करने की बात कही जबकि क्वांटा, कॉम्पल और इन्वेंटेक ने पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। फ्लेक्स चेन्नई के समीप अपने संयंत्र में डेस्कटॉप कंप्यूटर और वर्कस्टेशन बनाने के लिए पहले ही एचपी के साथ गठजोड़ कर चुकी है। इससे पहले एचपी उत्तराखंड के पंतनगर के अपने संयंत्र में उत्पादन कर रही थी।
लेनोवो इंडिया ने कहा है कि वह अपने पांडिचेरी संयंत्र में लैपटॉप बनाने की अपानी क्षमता को दस गुना बढ़ाना चाहेगी और टैबलेट का उत्पादन भी करेगी। लेनोवो ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या वह योजना में सीधे तौर पर अथवा अपने वेंडर के जरिये भाग लेना चाहती है।
ऐपल इंक ने पीएलआई योजना के तहत मोबाइल फोन के उत्पादन के लिए तीन इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा (ईएमएस) कंपनियों के साथ करार किया है। कंपनी पर नजर रखने वाले सूत्रों ने बताया कि ऐपल लैपटॉप और टैबलेट के लिए उतरी तरह का उत्साह संभवत: नहीं दिखाएगी। ऐपल ने इस बाबत पूछे जाने पर टिप्पणी करने से इनकार किया। विश्लेषकों का कहना है कि कुछ वैश्विक पीसी ब्रांड पीएलआई योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं और इसकी मुख्य वजह यह है कि निर्यात के लिए यह अधिक आकर्षक नहीं है। एक अग्रणी वैश्विक लैपटॉप ब्रांड के साथ वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2-4 फीसदी प्रोत्साहन दर चीन के मुकाबले काफी कम है जिसका इस बाजार में 20 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के साथ वर्चस्व है। उन्होंने कहा कि यह योजना निर्यात के बजाय आयात के विकल्प के लिए कहीं अधिक दिखती है क्योंकि भारत लैपटॉप एवं टैबलेट का चीन से काफी आयात करता है और भारत में उसका उत्पादन काफी कम होता है।
सरकार को उम्मीद है कि पीएलआई योजना दूरसंचार, कंप्यूटर और नेटवर्किंग उत्पादों के विनिर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगी। पीएलआई योजना के तहत 30,000 रुपये के इनवॉइस मूल्य के साथ लैपटॉप पर और वैश्विक कंपनियों के लिए 15,000 रुपये के इनवॉइस मूल्य के साथ टैबलेट पर चार साल के लिए 2-4 फीसदी की प्रोत्साहन दर प्रदान करती है बशर्ते कि वे इस अवधि में 500 करोड़ रुपये का निवेश करें।
कंपनियों को पहले वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये की वृद्धिशील बिक्री करनी होगी जो चौथे वर्ष में बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। घरेलू कंपनियों के लिए निवेश मानदंड केवल 20 करोड़ रुपये है और वृद्धिशील बिक्री पहले वर्ष में 50 करोड़ रुपये से चौथे वर्ष में 300 करोड़ रुपये निर्धारित है। यही कारण है कि घरेलू कंपनियां पहले से ही इसका फायदा उठा रही हैं।
लावा इंटरनैशनल मोबाइल उपकरण बनाने के लिए पीएलआई योजना के तहत लाभ के लिए चुनी गई है और जल्द ही अंतिम निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। डिक्सन टेक्नोलॉजिज के सीएमडी सुनील वचानी ने पुष्टि की है कि कंपनी पीएलआई के लिए आवेदन करेगी। लावा इंटरनैशनल के चेयरमैन हरिओम राय ने कहा कि न्यूनतम निवेश के बारे में जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है और लावा अभी भी उसका अध्ययन कर रही है।