केंद्र सरकार गरीबों के लिए एक स्वास्थ्य बीमा योजना बना रही है जो गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली देश की 30 करोड़ जनसंख्या के लिए लागू होगी।
नेशनल कमीशन फार एंटरप्राजेज इन द अनआर्गेनाइज्ड सेक्टर (एनसीईयूएस) की अनुशंसाओं के बाद यह योजना आकार ले रही है। योजना आयोग के एक उच्चस्तरीय समूह ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पांच साल में देश की 30 करोड़ की बीपीएल जनसंख्या (5 करोड़ परिवार) को लाभ पहुंचाने के लिहाज से यह योजना प्रस्तावित है।
अनुमान लगाया गया है कि हर परिवार पर 750 रुपये की राशि का व्यय आएगा। इसमें 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी और शेष 25 प्रतिशत राज्य सरकारों से आएगा। स्मार्ट कार्ड की कीमत केंद्र वहन करेगा और बीमाधारकों को केवल 30 रुपये प्रति वर्ष पंजीकरण या नवीनीकरण शुल्क के रूप में देना होगा। यह योजना जल्दी से जल्दी लागू की जाएगी।
स्वास्थ्य बीमा जुए समान: इससे दूर ही रहें मुसलमान
स्वास्थ्य बीमा को जुए समान बताते हुए देश की प्रमुख मुस्लिम संस्थाओं ने एक संयुक्त फैसले में इसे मुसलमानों के लिए हराम घोषित किया है। शरिया की रोशनी में मुसलमानों से जुड़ी समस्याओं पर निर्णय देने के लिए बनाई गई ‘भारतीय इस्लामी फिकह अकादमी’ ने अपने चौहदवें सम्मेलन में इस विषय पर गौर किया कि स्वास्थ्य बीमा मुस्लिमों के लिए जायज़ है या नहीं।
इस विषय पर लगभग तीन दिन की चर्चा के बाद अंतिम फैसले में कहा गया, ‘इस्लामी कानून में किसी तरह के जुए की इजाज़त नहीं है। स्वास्थ्य बीमे के वर्तमान स्वरूप का ज़मीनी हकीकत पर विश्लेषण करने पर पाया गया कि वास्तव में यह जुए की ही एक शक्ल है।’ फैसले में कहा गया कि स्वास्थ्य बीमे ने स्वास्थ्य उपचार जैसी नेक सेवा को व्यापार और धंधे में बदल दिया है।
इसे देखते हुए ‘सामान्य हालात में’ मुसलमानों को स्वास्थ्य बीमा कराने की अनुमति नहीं है। अकादमी के जिस सम्मेलन में यह फैसला किया गया उसमें दारूल उलूम देवबंद जमाते इस्लामी जमियत उलेमाए हिंद के उलेमाओं के अलावा देश भर के लगभग 300 प्रमुख मदरसों के प्रतिनिधि शामिल थे। फैसले में कहा गया, ‘अन्य बीमों की तरह स्वास्थ्य बीमा भी उन गैर मुनासिब सौदों की तरह है जिसकी इस्लाम में अनुमति नहीं है।
इसलिए सामान्य स्थिति में स्वास्थ्य बीमे की अनुमति नहीं दी जा सकती है। और इस फैसले में सरकार या निजी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में भी फर्क नहीं किया जाएगा।’ अगर किसी कानूनी बाध्यता के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा कराया गया है तो उसकी अनुमति प्रदान किए जाने पर गौर किया जा सकता है।