प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) व्यवस्था की शुरुआत देश के पांच शहरों में शुक्रवार को हो गई। इस व्यवस्था की आधिकारिक शुरुआत किए जाने से पहले इसे और अधिक दुरुस्त बनाने के लिए फिलहाल कुछ शहरों में ही यह शुरू की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ई-कॉमर्स में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ओएनडीसी व्यवस्था एक बड़े बदलाव का माध्यम बनेगी। जिस तरह यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है क्या उसी तरह ओएनडीसी व्यवस्था ई-कॉमर्स क्षेत्र में आमूल-चलू परिवर्तन लाएगी? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं?
ओएनडीसी व्यवस्था क्या है और यह किस तरह काम करेगी?
ओएनडीसी ओपन नेटवर्क के सिद्धांत पर काम करेगी। इसके तहत के्रता और विक्रेता दोनों के लिए किसी लेनदेन के वास्ते एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होना जरूरी नहीं है। ओपन नेटवर्क की मदद से दोनों एक दूसरे को देख पाएंगे और किसी भी मंच या ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल कर वे लेनदेन कर सकते हैं। इसे सरल शब्दों में कहें तो विक्रेता को विभिन्न बाजार मंचों के लिए अलग-अलग नियमों का पालन नहीं करना होगा। इसी तरह उपभोक्ता भी एमेजॉन, िलपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों और पड़ोस के किराना स्टोर के विक्रेताओं से जुड़ पाएंगे। इस पूरी पहल का मकसद डिजिटल कॉमर्स में बड़े स्तर पर सहभागिता को बढ़ावा देना है। ओएनडीसी व्यवस्था में पूरे देश में बड़े एवं छोटे दोनों कारोबारियों को कारोबार करने के समान अवसर मिलेंगे। एक लंबी अवधि के बाद छोटे कारोबार एवं उपभोक्ता पूरी तरह डिजिटलीकरण का हिस्सा बन जाएंगे। ओपन नेटवर्क की धारणा केवल ाुदरा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि दूरसंचार, खाद्य आपूर्ति, यात्रा सहित अन्य क्षेत्रों के लिए भी यह कारगर होगी।
ओएनडीसी व्यवस्था सीमित स्तर पर लागू करने का मकसद क्या है? पूर्ण रूप से यह सुविधा कब शुरू होगी?
ओएनडीसी व्यवस्था की शुरुआत फिलहाल छोटे स्तर पर की गई है जिसका मकसद ओएनडीसी ढांचे में एक सिरे से दूसरे सिरे तक लेनदेन की सुविधा का आकलन करना है। इसमें किसी वस्तु का ऑर्डर देने से लेकर इसकी आपूर्ति तक तमाम प्रक्रियाओं का अध्ययन करना शामिल है। इससे इस सुविधा के विस्तार का एक खाका तैयार हो जाएगा। फिलहाल दिल्ली, बेंगलूरु, कोयंबत्तूर, भोपाल और शिलॉन्ग में इसकी शुरुआत की गई है। इनके बाद अगले छह महीनों में देश के 100 शहरों में इस व्यवस्था की शुरुआत होगी। शुरू में 150 खुदरा कारोबारी इसमें भाग लेंगे। पांच विक्रेता इकाइयां- सेलर ऐप, ग्रोथफाल्कंस, गोफ्रूगल, डिजिटल आर्डर और ई-समुदाय पहले इस कवायद में भाग लेंगी। खरीदार के लिए एक ऐप्लिकेशन भी होगा जिसे ओएनडीसी ढांच के जरिये विक्रेता के सिरे पर उसके ऐप्लिकेशन से जोड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि उपभोक्ता किसी ऐप्लिकेशन पर जाकर उन खुदरा विक्रेताओं को ऑर्डर दे पाएंगे जिन्हें इस प्रायोगिक अभियान का हिस्सा बनाया गया है। सामान पहुंचाने वाली इकाइयों को भी जोड़ा जा रहा है। लोडशेयर ने शिरकत करने की हामी भर दी है। आगे चलकर और बड़ी सं या में परिवहन व्यवस्था देने वाली इकाइयां जुड़ेंगी। इससे जिससे उपभोक्ताओं को अपनी सुविधानुसार डिलिवरी पार्टनर चुनने में आसानी होगी।
ओएनडीसी से किन्हें लाभ मिलेगा? उपभोक्ताओं को कैसे होगा फायदा?
ओएनडीसी के जरिये विक्रेता खासकर किराना स्टोर अधिक से अधिक खरीदारों तक पहुंच पाएंगे। ओएनडीसी प्रणाली अपनाने से उनका कारोबार न केवल अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगा बल्कि कारोबार करने की लागत भी कम हो जाएगी। इससे उन्हें उचित कीमतें मिलेंगी और दीर्घ अवधि में मुनाफा भी बढ़ जाएगा। जहां तक उपभोक्ताओं की बात है तो फिलहाल तो उन्हें कोई खास फायदा नहीं होगा। हां, उनके पास अधिक विकल्प होंगे और खरीदारी का अनुभव बेहतर हो जाएगा।
क्या ओएनडीसी से डिजिटल आधिपत्य पर अंकुश लग सकेगा?
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि ओएनडीसी व्यवस्था ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे एमेजॉन, िलपकार्ट और ऑफलाइन कारोबारियों के लिए कारोबार के समान अवसर लेकर आएगी। ऑफलाइन कारोबारियों के अनुसार एमेजॉन और िलपकार्ट का खुदरा बाजार के 63 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है। उद्योग विभाग ओएनडीसी के कामकाज के तरीकों पर दो ई-कॉमर्स कंपनियों से बातचीत कर चुका है मगर ये बैठकें औपचारिक नहीं थीं। अगर सरकारी अधिकारियों की मानें तो ओएनडीसी सुविधा का लाभ उठाकर एमेजॉन और िलपकार्ट जैसी कंपनियां भी लाभान्वित हो सकती हैं। फिलहाल ओएनडीसी का चयन पूरी तरह वैकल्पिक है।