facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

नई फार्मा नीति की रिपोर्ट अंतिम दौर में

Last Updated- December 05, 2022 | 10:03 PM IST

देश के लिए फार्मा नीति बनाने के लिए गठित अंतर मंत्रालयीय समूह के गठन के 16 महीने बाद इसकी अंतिम रिपोर्ट आनेवाली है।


कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह 30 अप्रैल को एक बैठक करने जा रहा है जिसमें फार्मा नीति के लिए सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसमें आम आदमी को दवाई उद्योग से जोड़ने की हरसंभव कोशिशों पर बात की जाएगी।


मंत्रिमंडलीय समूह के सामने रखे गए फार्मा नीति के मसौदे में मूल्य नियंत्रण की सीमा को बढ़ाने की भी बात कही है। 55,000 करोड़ रुपये के घरेलू दवाई उद्योग में वर्तमान 20 प्रतिशत की दर को 35 प्रतिशत करने की योजना है। इसका मतलब यह हुआ कि अब मूल्य नियंत्रण के दायरे में 354 दवाएं आ जाएंगी। 11 जनवरी 2007 में इसका गठन किया गया था और उसके बाद से यह इसकी चौथी बैठक है।


मंत्री समूह इस बात की भी सिफारिश कर सकता है कि सभी दवाइयों का कारोबारी मार्जिन क्या होगा और दवाओं की खुदरा बिक्री कैसे की जाएगी। इसके अलावा पेटेंट दवाई और मशीनों की कीमत और दवाओं से जुड़े हुए मामलों को निपटाने की प्रक्रिया पर भी सिफारिश की जाएगी। मंत्रिमंडलीय समूह रसायन मंत्रालय, दवाई उद्योग और स्वास्थ्य पर आधारित एनजीओ के भी विचारों को भी ध्यान में रख रहा है।


एक सूत्र के मुताबिक 30 जनवरी 2008 को हुई बैठक में नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के मूल्य नियंत्रण पर कड़ाई से पेश आने के सुझावों पर बात की गई थी।एनपीपीए ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अब जो दवाओं के दामों को नियंत्रित किया जाएगा वह अनिवार्य होगा और इस संबंध में वास्तविक लागत आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली को नहीं माना जाएगा। मंत्रिमंडलीय समूह का गठन तब किया गया था जब दवाई उद्योग मूल्य नियंत्रण एक लॉबी बनाने लगे थे।


मंत्रिमंडलीय समूह के सदस्यों में रसायन मंत्री रामविलास पासवान, उद्योग मंत्री कमलनाथ, स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास, विज्ञान और तकनीक मंत्री कपिल सिब्बल और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया शामिल हैं।दवाओं के दाम को लेकर मंत्रालय और दवा निर्माताओं में लम्बे समय से विवाद रहा है। लेकिन लॉबी के दबाव में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका था। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने इसे जोर शोर से उठाया था।


आम आदमी के लिए
मूल्य नियंत्रण के दायरे में 354 दवाओं को लाने की तैयारी, दवा उद्योग के 35 प्रतिशत हिस्से पर होगा नियंत्रण।
दवाओं के जो दाम निर्धारित किए जाएंगे, वह लागत आधारित मूल्य प्रणाली पर निर्भर नहीं होंगे।

First Published - April 18, 2008 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट