कोरोना कंप्यूटर कारोबार के लिए वरदान साबित हुआ था, लेकिन अब यह महामारी कम होने से इस कारोबार की रफ्तार भी थम गई है। कोरोना के दौरान वर्क फ्रॉम होम व ऑनलाइन पढ़ाई के कारण कंप्यूटर व लैपटॉप की खूब बिक्री हुई थी। अब इनकी बिक्री कम हो रही है। क्योंकि इनकी खरीद पहले ही काफी हो चुकी है। हालांकि नेटवर्किंग व मरम्मत में उपयोग होने वाले कंप्यूटर उत्पादों की बिक्री ठीक है। रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होने से कंप्यूटर-लैपटॉप सामानों के दाम भी 10 से 15 फीसदी बढ़े हैं। दिल्ली स्थित नेहरू प्लेस देश में लैपटॉप-कंप्यूटर सामान के कारोबार का बड़ा केंद्र है। यहां छोटे बड़े मिलाकर 6,000—7,000 कंप्यूटर कारोबारी हैं। जिनका सालाना कारोबार 12,000 से 15,000 करोड़ रुपये है।
ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद कंप्यूटर कारोबार काफी अच्छा रहा है। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर के कारण कंप्यूटर व लैपटॉप की खूब बिक्री हुई। लॉकडाउन खुलने के बाद के दो-तीन महीने तो सामान्य के मुकाबले बिक्री दोगुना तक बढ़ गई थी। अब इनकी बिक्री में गिरावट देखी जा रही है और कारोबार 60 से 70 फीसदी रह गया है। क्योंकि पहले काफी माल बिक चुका है। एसोसिएशन के महासचिव स्वर्ण सिंह कहते हैं कि कंप्यूटर सामान आयात होते हैं। इसलिए रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होने व अन्य कारणों से इनके दाम 10 से 15 फीसदी बढ़ गए हैं। महंगाई का असर भी इनकी बिक्री पर पड़ रहा है। लोग नया खरीदने के बजाय पुराने की मरम्मत कराकर ही काम चला रहे हैं। नेहरू प्लेस के कंप्यूटर कारोबारी श्याम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में लोगों ने जरूरत को देखते हुए काफी कंप्यूटर व लैपटॉप खरीद लिए थे। अब इनकी जरूरत कम हुई जिससे कंप्यूटर कारोबार में सुस्ती आई है।
नेटवर्किंग व मरम्मत उत्पादों की मांग बढ़ रही है
कंप्यूटर व लैपटॉप की मांग में भले ही कमी आई हो, लेकिन नेटवर्किंग उत्पादों की मांग बढ़ रही है। मोदी कहते हैं कि कंप्यूटर नेटवर्किंग से जुड़े उत्पादों मसलन मॉडम, राउटर, गेटवे आदि की मांग बढ़ी है। अग्रवाल ने कहा कि प्रिंटर की बिक्री भी खूब हो रही है। सिंह बताते हैं कि कोरोना काल में बिके कंप्यूटर व लैपटॉप की मरम्मत के काम आने वाले सामान की बिक्री भी ठीक है।
कंप्यूटर सामान पर भी पड़ी महंगाई की मार
भारत कंप्यूटर उत्पादों की खपत की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भर है। देश में आधे से ज्यादा कंप्यूटर उत्पाद चीन से आयात होते हैं। इसके अलावा हॉन्ग कॉन्ग, थाईलैंड से भी आयात होता है। डॉलर रुपये के मुकाबले मजबूत होने से कंप्यूटर उत्पाद महंगे हुए हैं। मोदी कहते हैं कि बीते एक-डेढ़ साल में रुपये के मुकाबले डॉलर 8 से 10 फीसदी मजबूत हुआ है। इसके साथ ही अन्य लागत भी बढ़ी है। लिहाजा कंप्यूटर उत्पाद 10 से 15 फीसदी महंगे हुए हैं। अग्रवाल ने बताया कि कोरोना से पहले जो लैपटॉप 30,000 से 35,000 रुपये में आता था, वो अब 40,000 रुपये से अधिक में आ रहा है। 5,000 से 7,000 में रुपये में बिकने वाला मदरबोर्ड 6,000 से 8,000 रुपये में बिक रहा है। प्रिंटर के दाम भी 10 फीसदी बढ़े हैं।