रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने डेटा संरक्षण और क्रिप्टोकरेंसी पर कानून लाने के सरकार के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया।
अंबानी ने इनफिनिटी फोरम में एक बातचीत में कहा ‘भारत सबसे दूरदर्शी नीतियों और विनियमों का कार्यान्वयन कर रहा है। भारत में आधार, जन धन खाते और हमारा यूपीआई इंटरफेस है। हम डेटा संरक्षण बिल पेश किए जाने के कगार पर हैं, जिसकी मैं प्रतीक्षा कर रहा हूं और क्रिप्टोकरेंसी विधेयक की भी। इसलिए मुझे लगता है कि हम सही मार्ग पर हैं।’
देश की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा प्रदाता रिलायंस जियो के मालिक अंबानी ने वित्तीय पहुंच में सुधार के लिए ब्लॉकचेन और रीयल टाइम प्रौद्योगिकी को भी समर्थन दिया। उन्होंने कहा ‘ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है, जिस में मैं विश्वास करता हूं और यह क्रिप्टो से अलग है।’
अंबानी ने कहा कि वित्तीय सेवाओं में डिजिटलीकरण छिटपुट रहा है और नई प्रौद्योगिकियां उन्हें विकेंद्रीकृत करना संभव बनाएंगी। उन्होंने कहा ‘सरकार और केंद्रीय बैंक की केंद्रीकृत नीतियां होंगी, लेकिन विकेंद्रीकृत प्रौद्योगिकी समाधानों के लिए राह होगी, जहां वित्त सक्षम किया जाएगा और सभी के लिए उपलब्ध होगा। मुझे यह भी लगता है कि रीयल टाइम प्रौद्योगिकियां व्यापार को दिनों या घंटों में नहीं, तत्काल रूप से निपटाने में मदद करेंगी। स्मार्ट अनुबंध हकीकत बन जाएगा।’ उन्होंने कहा कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिये नई प्रौद्योगिकियों, भौतिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल के संयोजन से वित्तीय क्षेत्र का विकेंद्रीकरण इस तरह से संभव होगा कि जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के पक्ष में है और वह अपनी खुद की सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) विकसित कर रहा है, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी का कड़ा विरोध करता है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास बार-बार कह चुके हैं कि क्रिप्टोकरेंसी देश की वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर जोखिम खड़ा करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी निजी पक्षों द्वारा जारी की गई ऐसी मुद्राएं होती हैं, जिन पर किसी देश की मौद्रिक प्रणाली का कोई नियंत्रण नहीं होता है। सट्टेबाजों की अगुआई में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बेतहाशा उतार-चढ़ाव भी उन्हें विनिमय के रूप में अनुपयुक्त बना देता है।
देश में डिजिटल बुनियादी ढांचे के संबंध में अंबानी ने कहा कि अगले साल 5जी सेवाओं की शुरुआत के साथ भारत के पास दुनिया के सबसे उन्नत डिजिटल बुनियादी ढांचे में से एक ढांचा होगा। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश 2जी से 4जी की ओर पूरी तरह से तब्दील हो रहा है। हम और अधिक अभिग्रहण सक्षम करने के लिए उपकरणों का एक किफायती पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रक्रिया में हैं, जिसे तेजी से कार्यान्वित किए जा रहे ऑप्टिक फाइबर, क्लाउड और डेटा केंद्रा से समर्थन प्राप्त है। अगला कदम मशीनों, उपकरणों और वाहन, जो कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स है, का संयोजन होगा। अगले साल भारत में 5जी की शुरुआत के साथ हम दुनिया की किसी भी सबसे उन्नत डिजिटल अवसंरचना में से एक हासिल करने के अपने मार्ग पर चल रहे हैं।
अंबानी ने अन्य देशों के साथ लेनदेन के लिए एक समान वैश्विक डेटा मानकों की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डेटा और डिजिटल अवसंरचना भारत और दुनिया के हर दूसरे देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। हर देश के पास अपनी रणनीतिक डिजिटल अवसंरचना निर्मित करने और उसकी रक्षा करने का अधिकार है। हमें एक समान वैश्विकमानकों की आवश्यकता है ताकि विदेशों के साथ लेनदेन, सहयोग और साझेदारी में रुकावट न हो। साथ ही प्रत्येक नागरिक के निजता के अधिकार की भी रक्षा की जानी चाहिए।
