भारत के शॉर्ट फॉर्म या लघु वीडियो ऐप ने सफलतापूर्वक टिकटॉक के समय के 67 फीसदी उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़े रखा है। यह जानकारी शोध कंपनी रेडसियर कंसल्टिंग की रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन भारतीय ऐप पर जून 2020 के मुकाबले 97 फीसदी दैनिक विशिष्टसक्रिय उपयोगकर्ता रहते हैं। पिछले वर्ष जून में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाया गया था। शॉर्ट-फॉर्म वीडियो-द राइज ऑफ मेड इन इंडिया डिजिटल कंटेंट शीर्षक से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्तिकर्ता की ओर से दबाव बढ़ाए जाने और प्लेटफॉर्मों द्वारा आक्रामक विपणन से भारतीय लघु वीडियो ऐप ने पिछले एक वर्ष में करीब 30 से 35 फीसदी नए उपयोगकर्ता जोड़े हैं। अध्ययन जोश, मोज, एमएक्स टकाटक और रोपोसो सहित बड़े भारतीय लघु वीडियो ऐपों पर केंद्रित है जिनको लेकर उपयोकर्ताओं में अपेक्षाकृत अधिक जागरूकता है।
रेडसियर कंसल्टिंग में एसोसिएट पार्टनर उज्ज्वल चौधरी ने कहा, ‘टिकटॉक पर प्रतिबंध लगने के एक वर्ष से भी कम समय में भारतीय प्लेटफॉर्मों ने मजबूत वी आकर की वापसी की है। इससे पता चलता है कि किस प्रकार से बहुत कम समय में ये प्लेटफॉर्म उत्पाद को तैयार करने, अपनी योजना को क्रियान्वित करने और आक्रामक तरीके से इसका विपणन करने में सक्षम थे। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय डिजिटल पारितंत्र किस तरह से परिपक्व हुआ है उसका इससे मजबूत संकेत मिलता है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इन्हें अभी अपने साथ जोडऩे और बनाए रखने के वैश्विक और क्षेत्र से बाहर के बेंचमार्क तक पहुंचना है जिससे समूचे पारितंत्र के लिए मुद्रीकरण की संभावना और अधिक वृद्घि होगी।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि लघु वीडियो पर खर्च होने वाले समय में धीरे धीेरे इजाफा हुआ है जो जून 2020 के मुकाबले 55 फीसदी पर पहुंच गया है लेकिन इन ऐप के पास सामग्री की गुणवत्ता और उत्पाद अनुभव में सुधार करने की और गुंजाइश बाकी है।
हालांकि, रेडसियर ने यह भी पाया है कि यदि चीनी ऐप से प्रतिबंध हटा लिया जाए तब भी मौजूदा लघु फॉर्म वीडियो के उपयोगकर्ता इन घरेलू ऐपों पर बने रहेंगे और उनका चीनी ऐप पर दोबारा से जाने की संभावना नहीं है।नए जुड़े उपयोगकर्ताओं में ज्यादातर बड़े शहरों के हैं। मजबूत नेटवर्क प्रभावों के कारण उपयोगकर्ता आधार में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, पारितंत्र वृद्घि को बल मिल रहा है जिससे प्रभावित करने वालों और प्लेटफार्म दोनों के लिए बड़े स्तर पर मुद्रीकरण की संभावना है।
प्रमुख प्लेटफॉर्म
रिपोर्ट को नेट प्रमोटर स्कोर, निष्ठा और संतुष्टि मैट्रिक के आधार पर तैयार की जाती है जिसमें सामग्री की गुणवत्ता, कीमत और पेश की गई समग्र ऐप/वेब अनुभव जैसे कारकों को शामिल किया जाता है।
अध्ययन के मुताबिक जोश जिसकी पैतृक कंपनी समाचार एग्रीगेट डेलीहंट की पैतृक कंपनी ही है, प्रभाव डालेने वाले और उपयोगकर्ता दोनों लिहाज से अग्रणी बनी हुई है जिसकी प्रमुख वजह हिंदी क्षेत्र और बड़े शहरों, नगरों और कस्बों में इसका जबरदस्त प्रदर्शन है।
शेयरचैट की स्वामित्व वाली मोज पिछली तिमाही के मुकाबले उपभोक्ता और कारोबारी मेट्रिक्स को हासिल करने में मजबूती से आगे बढ़ी है। इसकी वृद्घि मुख्य तौर पर क्षेत्रीय भाषाई बाजारों खासकर दक्षिणी राज्यों में वृद्घि के कारण से है।
दूसरी तरफ रोपोसो जिसकी पैतृक कंपनी इनमोबी है ने छोटे शहरों के मुकाबले महानगरों में मजबूतब प्रदर्शन किया है। टाइम्स इंटरनेट की स्वामित्व वाली एमएक्स टकाटका महानगरों में नेट एनपीएस में अग्रणी रही।
प्रभाव वाला आधार
किसी प्लेटफार्म पर प्रभाव डालने वाला आधार ऐसे लोगों का होता है जिनको बड़ी संख्या में अनुसरण किया जाता है। ये ब्रांडेड सामग्री सौदों या अपने द्वारा तैयार सामग्री से उत्पादों का विज्ञापन कर पैसा कमा सकते हैं।
रेडसियर रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रभाव डालने वाला व्यक्ति 1 करोड़ अनुसरणकर्ताओं के होने पर हर महीने करीब 20,000 से 40,000 डॉलर की कमाई कर सकता है।