केंद्र सरकार ने आज उन चौदह शहरों की घोषणा की जहां विश्व स्तरीय केन्द्रीय विश्व विद्यालय की स्थापना की जाएगी।
साथ ही सरकार ने विभिन्न राज्यों में चार और आईआईटी तथा छह आईआईएम खोलने तथा कुछ राज्य विश्वविद्यालयों को उन्नत बनाकर उन्हें केन्द्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा देने का भी ऐलान किया।केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन नए संस्थानों को किन किन स्थानों पर स्थापित किया जाए इस बारे में मंत्रालय के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने बताया कि ग्यारहवीं योजना के दौरान स्थापित किए जाने वाले चौदह विश्व स्तरीय केन्द्रीय विश्व विद्यालयों के लिए पुणे (महाराष्ट्र), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), जयपुर (राजस्थान), पटना (बिहार), भोपाल (मध्य प्रदेश), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), अमृतसर (पंजाब), गुवाहाटी (पूर्वोत्तर राज्य), कोयम्बटूर (तमिलनाडु), मैसूर (कर्नाटक), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), कोच्चि (केरल) और भुवनेश्वर (उड़ीसा) का चयन किया गया है।
उन्होंने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों से इन शहरों या इनके आसपास पर्याप्त भूमि की पहचान करने का अनुरोध करने का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि इन स्थलों का चुनाव कनेक्टिविटी और ढांचागत सुविधाओं को ध्यान में रख कर किया गया है जो इस तरह के विश्वविद्यालय के लिए जरूरी है।
सिंह ने बताया कि नए आईआईटी उड़ीसा, मध्यप्रदेश (इंदौर), गुजरात और पंजाब में खोले जाएंगे जबकि आईआईएम की स्थापना झारखंड, छत्तीसगढ़ (रायपुर), उत्तराखंड, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और तमिलनाडु में की जाएगी। ये सभी संस्थान उन आठ आईआईटी और सात आईआईएम में शामिल है जिन्हें ग्यारहवीं योजना में खोलने का प्रस्ताव किया गया है।
सरकार पहले ही बिहार, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में चार नए आईआईटी और मेघालय के शिलांग में एक आईआईएम खोलने की घोषणा कर चुकी है और इसके लिए स्थल का भी चयन कर लिया गया है।
सरकार ने आईआईटी और आईआईएम की स्थापना के लिए ग्यारहवीं योजना में क्रमश: 2000 करोड़ और 660 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जबकि सोलह केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 2000 करोड़ रुपये और 14 विश्व स्तरीय केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 2800 करोड़ रुपये तय किए गए हैं। इसके अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान को आईआईटी के रूप में परिणत करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इस संस्थान के लिए प्रवेश पहले से ही आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए होता है।
सिंह ने बताया कि ग्यारहवीं योजना के दौरान उन 16 राज्यों में एक नया केन्द्रीय विश्व विद्यालय खोलने का भी निर्णय किया गया है। वहां फिलहाल कोई केन्द्रीय विश्व विद्यालय नहीं है। ये राज्य हैं बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु , गुजरात, राजस्थान और गोवा।
उन्होंने कहा कि इनमें से तीन राज्य ऐसे हैं जहां मौजूदा राज्य विश्व विद्यालय को केन्द्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा दिया जाएगा। इन विश्व विद्यालयों के नाम हैं डा हरि सिंह गौड़ विश्व विद्यालय सागर, गुरू घासीदास विश्व विद्यालय बिलासपुर, और गोवा विश्व विद्यालय गोवा।उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश को छोड़ कर बाकी तीन नए आईआईटी बिहार, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पढ़ाई का काम इसी साल शुरू हो जाएगा।
देश में छह से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने संबंधी शिक्षा का अधिकार विधेयक के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि एक कैबिनेट नोट जारी किया गया है और उनका मंत्रालय इस बारे में योजना आयोग के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस विधेयक को संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा।