वाणिज्य सचिव गोपाल पिल्लई ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) वार्ताओं के दौरान भारत अपने कानूनी सेवा क्षेत्र को विदेशी फर्मों के लिए खोलने की अनुमति नहीं देगा।
वैसे, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विदेशी कानूनी फर्मों को भारत में विलय और अधिग्रहणों के सौदों की अनुमति देना लाभदायक होगा। पिल्लई ने कहा, ‘भारतीय कानूनी सेवा क्षेत्र को सुधार की जरूरत है जो सीमित जवाबदेही, भागीदारों की संख्या और विज्ञापन प्रतिबंध आदि से संबद्ध है।
एक बार ऐसा हो जाने पर यह क्षेत्र के उदारीकरण के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा।’ पिल्लई ने कहा, ‘इस चरण में हम दोहा दौर की बातचीत में कानूनी सेवा क्षेत्र को खोलने का वादा नहीं करेंगे। हालांकि अगर यह क्षेत्र खोला गया तो भारतीय पेशेवरों को इसका काफी फायदा होगा।’ उन्होंने कहा कि विदेशी वकील भारत की जिला कचहरियों में आकर प्रैक्टिस तो करने से रहे। उनकी दिलचस्पी दो कंपनियों के बीच विलय और अधिग्रहण में होती है।
इस समय भारत में विदेशी कानूनी फर्मों को अपनी सेवाएं देने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा इस क्षेत्र के पेशेवर भी इसे विदेशी भागीदारों के लिए खोले जाने के प्रति सहज नहीं हैं। विदेशी फर्मों को भारत में आने देने का विरोध ढेर सारे कानूनों के कारण किया जा रहा है। पिल्लई ने कहा, ‘हम समझते हैं कि इसकी सीमाएं हैं। पर भविष्य में इनमें से अधिकांश का हल हो जाएगा।