चार लाख मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए इससे बड़ी राहत की बात क्या हो सकती है कि ब्लैकबेरी मुद्दे को लगभग हल कर लिया गया है।
कनाडा की सेवा प्रदाता रिसर्च इन मोशन (रिम) ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह इस तरह का हल लेकर आएगी जिससे सुरक्षा एजेंसिंयों को किसी प्रकार के नियंत्रण में कोई दिक्कत नही आएगी।
इस बाबत दूरसंचार मंत्रालय 9 अप्रैल को एक बैठक करने वाला है जिसमें इस मसले का पूरी तरह हल कर लिया जाएगा। सेल्युलर ऑपरेटर ऑफ इंडिया (सीओएआई) के साथ आज दिल्ली में ब्लैकबेरी सेवा प्रदाता की एक लंबी बैठक हुई, जिसमें सुरक्षा के सारे पहलुओं सहित डाटा कार्ड के अंतर्गत दी जा रही सुरक्षा पर भी बात हुई। एक अधिकारी के मुताबिक 9 अप्रैल से पहले इसका हल इन सेवा प्रदाताओं को देने के लिए कहा गया है।
संचार मंत्री ए राजा से जब ब्लैकबेरी विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम लोग मुद्दे को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इस मुद्दे पर विस्तृत बातचीत 9 अप्रैल की बैठक में की जाएगी।ब्लैकबेरी उस समय विवाद में आया जब सुरक्षा एजेंसियों ने यह सवाल उठाया कि उच्च स्तरीय इंक्रीप्शन की वजह से यह डाटा को न तो प्रतिच्छेद कर सकती है और न ही इसका नियंत्रण कर सकती है।
एक उच्च सूत्र ने बताया कि इंक्रीप्शन में कमी नही की जा सकती है क्योंकि इससे सेवा प्रदाताओं में खासी निराशा होगी। दरअसल कं पनियां अपने मेल के लिए उच्च इंक्रीप्शन स्तर का इस्तेमाल अपनी सुरक्षा के लिए करती है। इस तरह से उनकी सुरक्षा से कोई समझौता करना काफी मुश्किल है।
ब्लैकबेरी सेवा 4 लाख से ज्यादा उपभोक्ता को दी जा रही है,जिसमें भारती एयरटेल, वोडाफोन-एस्सार, रिलायंस कम्युनिकेशन और बीपीएल का नाम भी शामिल है। हालांकि ब्लैकबेरी सेवा ज्यादा संख्या में प्रदान नही की जा रही है लेकिन इससे एक बड़ी राशि तो जरुर इकट्ठी हो रही है।
इस मुद्दे को तब हवा मिली जब सरकार ने टाटा टेलिसर्विसेज को ब्लैकबेरी सेवा प्रदान करने की अनुमति नही दी थी। इसमें ऐसा भी कहा गया था कि जो कंपनियां इस तरह की सेवाएं प्रदान कर रही है वह इसे 31 दिसंबर तक बंद कर दें। जब कंपनियों ने काफी विरोध किया तो तिथि को बढाकर मार्च 2008 कर दिया गया। राजा ने इस बात का भी आश्वासन दिया कि इस सेवा पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है।