दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंसों के राजस्व पर तगड़ी चपत लगने की संभावना है।
न्यायालय ने पिछले महीने दिए अपने आदेश में व्यवस्था दी कि ट्रैवल एजेंटों की ओर से लगाए जाने वाला पूरक कमीशन आयकर अधिनियम की धारा 194एच में उल्लिखित कमीशन के दायरे में नहीं आता। लिहाजा यह पूरक कमीशन स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के दायरे में आएगा।
12 कंपनियों की ओर से दायर अपील पर न्यायालय ने यह आदेश सुनाया। इन एयरलाइंसों में सिंगापुर एयरलाइंस, केएलएम रॉयल डच, पाकिस्तान इंटरनैशनल एयरलाइंस, कुवैत एयरवेज, एयर फ्रांस, थाई एयरवेज, ब्रिटिश एयरवेज, एयर इंडिया, बेलएयर ट्रैवेल्स ऐंड कार्गो और यूनाइटेड एयरलाइंस की ओर से दायर की गई थी।
पूरक कमीशन तब अदा किया जाता है जब कोई एयरलाइंस ग्राहकों को बिक्री के लिए ट्रैवल एजेंटों को थोक में सादी टिकट मुहैया कराती है। कुल कारोबार के आधार पर किसी एयरलाइंस द्वारा ट्रैवल एजेंटों को दिए जाने वाले मानक कमीशन से यह अलग होता है।
एयरलाइंस कंपनियों का तर्क था कि चूंकि ट्रैवल एजेंटों के जरिए उगाहे जाने वाला धन एयरलाइंसों के विशुद्ध किराए के अतिरिक्त है और यह ट्रैवल एजेंटों की कोशिशों का नतीजा है, इसलिए इसे धारा 194एच के तहत आने वाली कमीशन की परिभाषा के तहत नहीं रखा जा सकता।
