facebookmetapixel
RSS ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक… सीपी राधाकृष्णन का बेमिसाल रहा है सफरभारत के नए उप राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से हरायासेबी ने IPO नियमों में ढील दी, स्टार्टअप फाउंडर्स को ESOPs रखने की मिली मंजूरीNepal GenZ protests: नेपाल में क्यों भड़का प्रोटेस्ट? जानिए पूरा मामलाPhonePe का नया धमाका! अब Mutual Funds पर मिलेगा 10 मिनट में ₹2 करोड़ तक का लोनभारतीय परिवारों का तिमाही खर्च 2025 में 33% बढ़कर 56,000 रुपये हुआNepal GenZ protests: प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी दिया इस्तीफापीएम मोदी ने हिमाचल के लिए ₹1,500 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया, मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की मददCredit risk funds: क्रेडिट रिस्क फंड्स में हाई रिटर्न के पीछे की क्या है हकीकत? जानिए किसे करना चाहिए निवेशITR Filing2025: देर से ITR फाइल करना पड़ सकता है महंगा, जानें कितनी बढ़ सकती है टैक्स देनदारी

इन्फोसिस चली सरकारी बैंकों की डगर

Last Updated- December 09, 2022 | 9:54 PM IST

आरबीआई के प्रमुख दरों में क टौती करने के बाद सरकारी बैंकों की हालत में काफी सुधार हुआ है। ऐसे समय में जबकि बैंकों की हालत सुधरती नजर आ रही है ।


देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस भी बैंकों के उद्देश्यों की पूर्ति में मदद करती नजर आ रही है। दिसंबर तिमाही के परिणामों की घोषणा के बाद इन्फोसिस ने कहा कि कंपनी ने घरेलू निजी क्षेत्र के बैंकों से अधिकांश रकम निकालकर सरकारी बैंकों जैसे भारीतय स्टेट बैंक और पंजाब नैशनल बैंकों आदि में जमा की है।

हालांकि इन्फोसिस ने यह तो नहीं बताया कि उसने मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सरकारी बैंकों में क्यों रकम जमा की। हालांकि बैंकरो की राय में जमा रकम पर मिल रही ऊंची ब्याज दर इसका प्रमुख कारण है।

पिछले साल की शुरुआत तक आईसीआईसीआई जैसे कुछ बड़े निजी बैंक जमा राशि पर बेहतर ब्याज देकर ज्यादा से ज्यादा रकम डिपॉजिट के रूप में इकठ्ठा कर रहे थे। लेकिन बैंक ने कर्ज देना कम कर दिया और अपनी जमाओं की लागत घटाने के लिए जमा रकम पर आकर्षक रिटर्न देना भी बंद कर दिया।

ठीक इसकेउलट पिछले साल नवंबर के अंत तक सरकारी बैंक ज्यादा से ज्यादा संसाधन जुटाने के मकसद से जमा रकम पर निजी क्षेत्र के बैंकों से 4 फीसदी तक अधिक ब्याज दर ऑफर कर रहे थे।

दुनिया भर में नकदी की किलल्त का संकट गहराया तो सितंबर के दूसरे पखवाड़े में कर्ज की मांग में काफी तेजी आई और निजी बैंकों ने अपने कारोबार को बाजार में बंद करने में ही अपनी भलाई समझी।

हालांकि इसके बाद सरकारी बैंकों ने भी अपने धन की लागत घटाने के लिए दिसंबर की शुरुआत से जमा रकम पर ब्याज की दर 9.5 फीसदी तय कर दी। एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सितंबर के बाद से सरकारी बैंकों की तरफ जमाओं का जबरदस्त रुझान देखा गया है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के कारण जैसे ही अनिश्चितता का माहौल पैदा हुआ, वैसे ही एसबीआई की जमा राशियों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई।

अधिकारी ने बताया कि अब सरकारी बैंकों ने भी अपने गुणवत्ता में काफी सुधार किया है और उनके द्वारा प्रदान की जानेवाली सेवाएं निजी क्षेत्र के किसी बैंक की तुलना में कम नहीं है।

इन्फोसिस की जमाओं की पुष्टि करते हुए सिंडीकेट बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने कहा कि उनके बैंक में मार्च 2008 से पहले ही इन्फोसिस की जमाएं थीं। उनसे हमारा लंबा श्तिा है। सिंडीकेट मजबूत बैंक है। बैंक को खुशी है कि इन्फोसिस जैसी कंपनियां उसके पास आ रही हैं।

First Published - January 14, 2009 | 9:03 PM IST

संबंधित पोस्ट