Import quota on Metallurgical Coke: कम राख वाले मेटलर्जिकल कोक के आयात की मात्रा सीमित करने के मुद्दे पर इस्पात मंत्रालय और वाणिज्य विभाग के बीच खींचतान जारी है। मेटलर्जिकल कोक इस्पात के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख कच्चा माल है।
इस्पात मंत्रालय ने पिछले सप्ताह लिखे गए एक पत्र में वाणिज्य विभाग से आग्रह किया है कि वह कच्चे माल के आयात की मात्रा तय करने के बारे में व्यापार उपचार महानिदेशालय की हालिया सिफारिशों को स्वीकार न करे। मंत्रालय ने कहा कि आयात प्रतिबंध लागू किए जाने से न केवल उत्पादन और डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए आपूर्ति बाधित होगी, बल्कि इस्पात की लागत भी बढ़ जाएगी। यह इस्पात उद्योग के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि उद्योग ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप काफी निवेश किए हैं।
इस्पात मंत्रालय ने महानिदेशालय की जांच के अंतिम निष्कर्ष पिछले सप्ताह आने के बाद यह अनुरोध किया है। महानिदेशालय ने 18 फीसदी से कम राख वाले मेटलर्जिकल कोक के आयात पर एक साल के लिए मात्रात्मक प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। जांच अवधि के दौरान इसके आयात में अचानक तेज वृद्धि दर्ज की गई थी।
वाणिज्य विभाग ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सवाल के जवाब में कहा कि महानिदेशालय ने इस्पात, पिग आयरन, एलॉय स्टील एवं अन्य डाउनस्ट्रीम उद्योगों पर इसके प्रभाव का भी आकलन किया है। आकलन में पाया गया कि इस प्रतिबंध का डाउनस्ट्रीम उद्योगों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
विभाग ने कहा, ‘ये सिफारिशें वाणिज्य विभाग के पास विचाराधीन हैं। वाणिज्य विभाग ने 28 मई 2024 को हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया। विभाग सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों की व्यापक जांच और इस्पात मंत्रालय सहित विभिन्न हितधारकों की बातों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगा।’
इस बाबत जानकारी के लिए इस्पात मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला।
व्यापार उपचार महानिदेशालय की सिफारिशों को विदेश व्यापार महानिदेशालय अधिसूचित कर देता है तो हर साल 28.5 लाख टन मेटलर्जिकल कोक का ही आयात हो पाएगा।
पिछले सप्ताह पांच कंपनियों- बिड़ला कोक, जिंदल कोक, सौराष्ट्र फ्यूल्स, वेदांत माल्को एनर्जी और वीजा कोक ने आरोप लगाया था कि भारत में बड़ी मात्रा में आयात किए जाने वाले मेटलर्जिकल कोक से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है।