उद्योग

देश में चिप विनिर्माण का संपूर्ण तंत्र गढ़ने की हो रही तैयारी, बनेगा वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा: निवृति राय

भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत इन्वेस्ट इंडिया जापान, अमेरिका और ताइवान जैसी कंपनियों के साथ मिलकर देश में चिप विनिर्माण का संपूर्ण तंत्र तैयार कर रहा है

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आशीष आर्यन   
Last Updated- September 15, 2025 | 10:11 PM IST

देश की इन्वेस्ट इंडिया, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके तहत जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, जर्मनी, नीदरलैंड और अमेरिका की सेमीकंडक्टर, सेमीकंडक्टर उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा क्षेत्र की कंपनियों को लाया जाएगा और देश में चिप फैब्रिकेशन का संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाएगा। इन्वेस्ट इंडिया की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी निवृति राय ने यह जानकारी दी।

राय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ विशेष बातचीत में कहा, ‘ऐसे बहुत कम देश हैं जिनके पास वह क्षमता और निवेश है, जिसे हम आकर्षित करना चाहते हैं। हम उन सभी के साथ मिलकर ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हम लागत के लिहाज से प्रतिस्पर्धी बन सकें।’

जुलाई 2023 में इन्वेस्ट इंडिया की मुख्य कार्य अधिकारी नियुक्त होने से पहले राय ने इंटेल इंडिया के साथ 29 वर्षों तक काम किया और वे सात वर्षों तक कंट्री हेड रहीं।

उन्होंने कहा कि देश की प्रमुख निवेश संवर्धन संस्था होने के नाते इन्वेस्ट इंडिया को सेमीकंडक्टर के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए जरूरी चीजों की गहरी समझ है क्योंकि चिप उद्योग में गहन योजना और निरंतर निवेश की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत डिजाइन इंजीनियरों, प्रोत्साहनों तथा अन्य सहायक कारकों के साथ तैयार है जो देश को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख भागीदार बनने में मदद करेंगे।

उन्होंने कहा कि एक चिप फैब्रिकेशन इकाई, एक सिलिकॉनकार्बाइड कंपाउंड सेमीकंडक्टर चिप फैब्रिकेशन इकाई तथा आठ अन्य असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) के साथ-साथ आउटसोर्स असेंबली और परीक्षण इकाइयों (ओएसएटी) को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के दूसरे चरण के तहत कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ पुर्जा विनिर्माताओं को भी देश में लाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए किसी नई विनिर्माण इकाई लगाने पर उसकी लागत में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी सेमीकंडक्टर उपकरणों की रहती है जबकि निर्माण सामग्री की हिस्सेदारी 30 से 35 प्रतिशत और किसी चिप के लिए कुल बिल-ऑफ-मैटेरियल में श्रम लागत की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत होती है।

उन्होंने कहा कि बोरॉन, फॉस्फोरस और फ्लोरीन जैसे उच्च शुद्धता वाले रसायन और गैसें तथा तांबा, चांदी और सोने जैसी धातुएं; टैंटालम और नियोडाइमियम जैसे खनिजों वाली इकाइयों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने के अलावा इन्वेस्ट इंडिया घरेलू चिप डिजाइन कंपनियों के साथ-साथ अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना को भी बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।

राय ने कहा, ‘मेरा दायित्व ऐसे निवेशकों को खोजना है जो सेमीकंडक्टर में निवेश करें, जो फंडामेंटल बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं। सेमीकंडक्टर ऐसा अवसर है जो हमारे लिए आर्थिक मजबूती लाएगा। यह अब केवल तकनीकी प्रगति तक ही सीमित नहीं है।’

First Published : September 15, 2025 | 10:11 PM IST