प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई, बेंगलूरु, हैदराबाद और चेन्नई के ग्रेड बी और सी श्रेणी के पुराने और निचली श्रेणी के मॉल का कायाकल्प करने की योजना बनाई जा रही है। महानगरों से इतर शहरों के उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव और बड़े शहरों में प्रमुख स्थानों पर जमीन की कमी के कारण यह कवायद हो रही है।
इन मॉलों को इंटीग्रेटेड डिस्ट्रिक्ट में तब्दील किए जाने की उम्मीद है जहां घर, दफ्तर, छुट्टियां बिताने वाला स्थान, आतिथ्य जैसी सुविधा होगी। यह मॉडल डेवलपर के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। प्रेस्टीज समूह के मुख्य कार्य अधिकारी (खुदरा) मोहम्मद अली ने कहा, ‘कोविड महामारी के बाद उच्च अनुभव वाले मॉल बनाए जा रहे हैं। ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन के साथ मॉल को कार्यक्रम, प्रचार और आधुनिक डिजाइन के साथ आकर्षक अनुभव देना चाहिए।’ उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि यह बदलाव संरचनात्मक और जल्द होने वाला है क्योंकि महामारी ने खुदरा विक्रेताओं की अपेक्षाओं को नया रूप दिया है, जिससे डेवलपरों ने भी मॉल के डिजाइन और उसके उद्देश्य पर फिर से विचार करना शुरू कर दिया है। पुराने मॉल इन मांगों को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं।
अश्विन शेठ समूह के मुख्य कारोबार अधिकारी भाविक भंडारी ने कहा, ‘एक ही उपयोग वाले खुदरा प्रारूपों की जगह अब मिश्रित उपयोग वाले परिवेश बन रहे हैं। देश के लगभग 35 से 40 फीसदी ग्रेड ए रिटेल मॉल अब एक दशक से भी ज्यादा पुराने हो चुके हैं और लगभग 20 फीसदी पुराने मॉलों का मिश्रित-उपयोग वाले पुनर्विकास के लिए आकलन किया जा रहा है।’ पुनर्स्थापन की प्रबल संभावनाओं वाली चुनिंदा रिटेल संपत्तियों का मूल्यांकन कर रही भंडारी की फर्म ने बताया कि भारत में मिश्रित उपयोग वाली परियोजनाएं एकल खुदरा परियोजनाओं के मुकाबले 12 से 15 फीसदी ज्यादा किराया देती हैं, जिससे ये स्थिर, विविध रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन जाती हैं।